एल एस बघेल, आगरा। आगरा के खिलाड़ियों में डोपिंग का डंक रोके से भी नहीं रुक पा रहा है। इसमें एकलव्य स्टेडियम में अभ्यास करने के लिए आने वाले कुछ खिलाड़ी इंजेक्शन लगा-लगाकर अपने शरीर को छलनी कर दे रहे हैं। कुछ साल पहले ही यह गलत परंपरा आगरा के कुछ ही खिलाड़ियों में पनपी है। वे अभ्यास करने के पहले अपने शरीर में यह इंजेक्शन लगा लेते हैं। इसके पश्चात वे मैदान में अभ्यास करते हैं। शनिवार को सुबह ही इस संवाददाता ने एकलव्य स्टेडियम के शौचालय में देखा तो वहां इंजेक्शन लगाने वाली सिरिंज पड़ी हुई थीं। जो इन खिलािड़यों द्वारा अपने शरीर में लगाने के पश्चात बाथरूम के पाइपों में खोंस दी गयी थीं। जब कभी बाथरूम की सफाई होती है तो इन खाली सिरिंजों को सफाई कर्मी द्वारा कचरे में फेंक दिया जाता है । लेकिन अगले ही दिन फिर से सिरिंज बाथरूम में देखने को मिल जाती हैं। इस संबंध में सफाई कर्मचारी से पूछा गया तो उनका कहना था कि वह रोजोना इस तरह प्रयोग की गयी सिरिंज निकालकर फेंकते हैं। इसके बाद फिर से ये जमा हो जाती हैं। इससे पता चलता है कि इन खिलाड़ियों द्वारा लगातार इंजेक्शन लगाने का काम किया जा रहा है।
पहले तो ताजनगरी के खिलाड़ियों में ऐसी कोई परंपरा नहीं थी। लेकिन अब पिछले कुछ वर्षों से यह गलत परंपरा लगातार बढ़ती जा रही है। इस आशय की खबरें भी पिछले कुछ सालों से आगरा के अखबारों द्वारा प्रकाशित की जाती रही हैं। नाडा के विशेषज्ञों से भी इस संबंध में वार्ता की गयी थी। जिसमें उनका कहना है कि ये इंजेक्शन लगा-लगाकर कुछ खिलाड़ी अपने शरीर को छलनी कर रहे हैं। यह एक बहुत ही खराब परंपरा है। इस तरह इंजेक्शन लगाकर अभ्यास करने वाले खिलाड़ी जब चालीस साल से अधिक आयु पर पहुंचते हैं तो इनके शरीर में इसके दुष्परिणाम प्रतीत होने लगते हैं। इस गलत परंपरा पर तत्काल रोक लगनी चाहिए।
वहीं एकलव्य स्टेडियम के उपक्रीड़ाधिकारी राममिलन से इस संबंध में पूछा गया तो उनका कहना था कि अपने शरीर को इंजेक्शन लगाकर छलनी करने वाले स्टेडियम के खिलाड़ी हैं ही नहीं । ये तो कहीं नौकरी पाने के लिए अपने शरीर को छलनी कर रहे हैं। उनका कहना है इससे थोड़े समय के लिए तो ये शरीर को क्षमता बढ़ा लेते हैं लेकिन जैसे ही ये चालीस की आयु के पार पहुंचेंगे , तब इन्हें अहसास होगा कि उन्होंने कितना गलत किया था। श्री राममिलन का कहना है कि खिलाड़ियों में डोपिंग को रोकने के लिए वाडा की जरह नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) है। उसके अधिकारियों द्वारा आगरा में भी समय-समय पर संगोष्ठी आदि कर खिलाड़ियों को इसके दुष्परिणामों की जानकारी दी जाती है। साथ ही बताया जाता है कि अगर खिलाड़ी राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो ऐसा कुछ करता है तो वह प्रतियोगिता के पहले ही पकड़ा जाता है क्योंकि हर बड़ी प्रतियोगिता के पहले खिलाड़ी का डोपिंग टेस्ट होता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ये इंजेक्शन लगाकर शरीर की क्षमता बढ़ाने का काम वही खिलाड़ी कर रहे हैं, जिनको इनके दुष्परिणामों की जानकारी ही नहीं है। वैसे तो इनको खिलाड़ी मानने को ही तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि असली खिलाड़ी इस तरह इंजेक्शन लगाकर अपने शरीर की क्षमता नहीं बढ़ाएगा।