पहले नौ हजार पेड़ लगाओ फिर 650 पेड़ काटने की अनुमति देने पर विचार करेंगे, आगरा-ग्वालियर एक्सप्रेसवे पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आगरा-ग्वालियर के बीच प्रस्तावित ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की राह में आ रहे 650 पेड़ों को काटने से पहले प्रतिपूरक वनीकरण के रूप में 9 हजार नये पेड़ लगाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रतिपूरक वनीकरण पूरा होने की रिपोर्ट भी अदालत में दाखिल करने को कहा। अनुपालन की समीक्षा सीईसी द्वारा की जाएगी, जो आगे की अनुमति दिए जाने से पहले अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

पेड़ों के कटान के बदले नये पेड़ न लगने के मामले में आगरा के पर्यावरणविद डॉक्टर शरद गुप्ता ने सीईसी में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी। सीईसी की रिपोर्ट पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।

आगरा-ग्वालियर के बीच प्रस्तावित छह लेन के ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने ताज ट्रिपेजियम जोन में 805 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने केंद्र की अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इस राजमार्ग के लिए केवल 650 पेड़ों को हटाने की ज़रूरत है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीईसी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए इस बात पर प्रकाश डाला कि केवल 650 पेड़ों को हटाने की जरूरत है। सीईसी ने यह भी सिफारिश की है कि एनएचएआई अपने खर्च पर 9,000 पेड़ों का प्रतिपूरक वृक्षारोपण करे।

पीठ ने पिछले मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रतिपूरक वनीकरण उपायों को लागू करने से पहले पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई थी। परिणामस्वरूप अक्सर वनीकरण के आदेशों का पालन नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने प्रस्तावित आगरा-ग्वालियर ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे पर ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन (टीटीजेड) में पेड़ों की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक प्राधिकरणों की ज़िम्मेदार भी तय की। साथ ही, पेड़ों की कटाई से पहले सावधानीपूर्वक विचार करने की सलाह भी दी। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि आवेदक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण नौ हजार पेड़ लगवाए और इसकी रिपोर्ट अदालत को सौंपे, उसके बाद ही पेड़ों को काटने की इजाजत पर विचार किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने पेड़ों की सुरक्षा के लिए सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों के संवैधानिक कर्तव्य पर भी जोर दिया। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने एक आवर्ती प्रवृत्ति पर ध्यान दिया, जहां सार्वजनिक प्राधिकरण आवश्यकता से अधिक पेड़ों को काटने के लिए आवेदन करते हैं। पीठ ने कहा कि टीटीजेड और दिल्ली में किए गए हर आवेदन में हमने इस प्रवृत्ति को देखा है। सार्वजनिक प्राधिकरणों को यथासंभव अधिक से अधिक पेड़ों की रक्षा करनी चाहिए।

कोर्ट में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बताया गया कि प्रस्तावित राजमार्ग का उद्देश्य धौलपुर और मुरैना से गुजरते हुए ग्वालियर और आगरा के बीच संपर्क बढ़ाना है। एनएचएआई का तर्क है कि नया ग्रीनफील्ड राजमार्ग न केवल मौजूदा राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर सड़क सुरक्षा में सुधार करेगा, बल्कि यात्रा के समय, ईंधन और परिवहन लागत को भी कम करेगा।

डॉ. शरद गुप्ता ने की थी शिकायत

ताज ट्रिपेजियम जोन में हरे पेड़ों की निरंतर हो रही कटाई के खिलाफ आवाज उठाते आ रहे आगरा के पर्यावरणविद डॊ. शरद गुप्ता ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) में यह शिकायत दर्ज कराई थी कि कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद पेड़ तो काट दिए जाते हैं, लेकिन उसके बदले में नये पेड़ नहीं लगाए जाते। उन्होंने अपनी शिकायत में यह भी कहा था कि वन विभाग जुर्माना लगाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है। काटे गए पेड़ों के बदले नये पेड़ न लगाने से टीटीजेड एरिया में वन आच्छादित क्षेत्रफल लगातार कम होता जा रहा है।

डॉ. शरद गुप्ता की इस शिकायत को सीईसी ने अपनी उस रिपोर्ट में शामिल किया था, जो उसने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर संज्ञान लेकर निर्देश जारी किए हैं।

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