आगरा। सिंधी समाज का चालिहा पर्व कल से शुरू हो रहा है। यह पर्व 40 दिन तक चलेगा। समाज के लोग उपवास रख प्रतिदिन अपने आराध्य वरुणावतार भगवान झूलेलाल की पूजा-अर्चना करेंगे। विशेष तौर पर सिंधी समाज की महिलाएं यह पर्व मनाती हैं। कहते हैं कि अखंड भारत के सिंध प्रांत में मुसलमान शासक मिरख शाह ने हिंदू सिंधी भाषी लोगों को मुसलमान बनाने के लिए बलात धर्म परिवर्तन का कुचक्र चलाया था। उससे दुखी होकर सिंधी समाज के लोग सिंधु नदी के किनारे एकत्रित हुए और वरुण अवतार भगवान झूलेलाल की प्रार्थना की। भगवान की आराधना करके धर्म परिवर्तन से बचाने की मनौती मांगी। सिंधी समाज के लोग 40 दिन तक भूखे प्यासे सिंधु नदी के किनारे पर भगवान वरुण अवतार की पूजा में लीन रहे। कहते हैं कि 40वें दिन आकाशवाणी हुई। भगवान ने कहा कि मैं शीघ्र ही नसरपुर में रतन राय के घर अवतार लेकर आप लोगों की रक्षा करूंगा। सिंधु नदी के जल पर मछली पर सवार एक सिद्ध पुरुष के दर्शन हुए। इसी उपलक्ष्य में सिंधी समाज के महिला पुरुष एकत्रित होकर भगवान वरुण अवतार का यशोगान करते हैं । उनके जन्म लेने की खुशी मनाई जाती है। 40 दिन के बाद इस पर्व का समापन होता है। यह पर्व सिंधी समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। भगवान झूलेलाल ने राजा मिरख शाह को बिना किसी रक्तपात के धर्म परिवर्तन न कराने की सलाह दी और उनके उपदेशों से प्रभावित होकर के मिरख शाह भगवान झूलेलाल के शिष्य बन गए। इस प्रकार हिंदू सिंधियों पर होने वाले अत्याचारों का अंत हो गया।
वरुण अवतार भगवान झूलेलाल ने धर्मनिरपेक्षता और परस्पर मिलकर रहने का उपदेश किया। इसी वजह से 40 दिन की पूजा की जाती है, जिसे चालिहा कहते हैं।
सिंधी सेंट्रल पंचायत के मुख्य सरक्षक जीवत राम करीरा, गागन दास रामानी, अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सोनी, घनश्यामदास देवनानी, परमानंद आतवानी, मीडिया प्रभारी मेघराज दियालानी, पं. बंटी महाराज, अमृत माखीजा, राजकुमार गुरनानी, किशोर बुधरानी, जय प्रकाश केशवानी, राज कोठारी, जेठा पुरषनानी, नरेश देवनानी, जय किशन बुधरानी, जयराम दास होतचंदानी आदि ने सभी से चालिहा उत्सव प्रेम और सद्भाव से मनाने की अपील की है।