उपचुनाव को लेकर संजय निषाद के बगावती तेवर, बोले- सहयोगी दलों को दरकिनार किया तो बीजेपी को करना पड़ेगा हार का सामना

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यूपी उपचुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सपा ने तो छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है। बीती रात दिल्ली में भाजपा हाईकमान की यूपी में उपचुनाव को लेकर हुई बैठक में अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ समेत कई नेता मौजूद रहे। बैठक में तय हुआ कि 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भाजपा नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

वहीं मीरापुर की सीट जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के खाते में गई है। भाजपा ने यूपी में अपने अन्य सहयोगी दलों को कोई सीट नहीं दी है। इस बात से अब निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद नाराज हो गए हैं।

बता दें कि यूपी उपचुनाव में संजय निषाद दो सीटों कटेहरी और मझवां में पर अपना उम्मीदवार उताराना चाहते हैं। मगर भाजपा हाईकमान की बैठक में ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया। पार्टी ने अपने सहयोगी दलों को दरकिनार कर दिया है। इस पर संजय निषाद ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा अगर ये दो सीटें निषाद समाज को नहीं मिलती तो बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा।

उन्होंने लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर हार का जिक्र करते हुए कहा कि निषाद पार्टी को सिम्बल न मिलने की वजह से 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

संजय निषाद ने कहा कि कार्यकर्ता वोट डलवाने का काम करते हैं। अगर उनको सिम्बल नहीं दिखेगा तो वो वोट क्यों देगें? उन्होंंने भाजपा से अपनी नाराजगी जाहिर कर बताया कि अभी भाजपा की सहयोगी दलों के साथ बैठक होगी। इस बैठक के बाद ही तय होगा कि किस पार्टी को कितनी सीट मिलेगी? उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी ने सभी 10 सीटों पर अपने आदमी लगा रखे हैं। संजय निषाद अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। हालांकि पार्टी ने उन्हें अब तक कोई सीट नहीं दिया है।

निषाद पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी

नाराज संजय निषाद ने बगावत करने का भी संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि निषाद पार्टी अपने ही सिंबल पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी है। पार्टी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ सकती है। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा को नसीहत देते हुए कहा कि बीजेपी को अपने गठबंधन का धर्म निभाना चाहिए। इसके तहत कटेहरी और मझवां सीट निषाद पार्टी को देनी चाहिए। उन्होंने उपचुनाव को लेकर चल रही चर्चाओं को नकार दिया। उनका कहना है कि चर्चा कुछ भी चल रही हो उससे कोई मतलब नहीं है। सहयोगी दलों की बैठक के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा।

साभार सहित




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