उत्तर प्रदेश ,26 नवंबर: सनातन संस्कृति को सर्वोच्च स्तर पर ले जाने के उद्देश्य से सनातन सांस्कृतिक संघ (एसएसएस) द्वारा बुंदेलखंड क्षेत्र में ‘सनातन एकता यात्रा’ का भव्य आयोजन किया गया है। सनातन सांस्कृतिक संघ का एक मात्र उद्देश्य :- मोक्षलक्षी, धर्म परंपराओं वैदिक, जैन, बौद्ध और सिख एकत्रित करना और जात-पात से ऊपर उठकर एकता की भावना को आगे बढ़ाना है।
बुंदेलखंड के मुख्य स्थलों पर 29 नवंबर 2024 से 2 दिसंबर 2024 तक आयोजित होने वाली यह यात्रा भारतीय परंपराओं, गौरवशाली विरासत और आध्यात्मिक शक्ति का भव्य उत्सव है।
सनातन एकता यात्रा धर्म, संस्कृति और एकता की मशाल जलाने का प्रतीक बनकर हर सनातनी के मन में नई उमंग और प्रेरणा जगाएगी।
एकता का संदेश शंखनाद
यह यात्रा मात्र एक आयोजन नहीं है, परंतु सनातन संस्कृति को पुनर्जीवित करने और उसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने का एक महायज्ञ है
ललितपुर से झांसी तक यह यात्रा वैदिक, जैन, बौद्ध और सिख परंपराओं को एक सूत्र में पिरोने का एक अभिनव प्रयास है जिसमे लाखो की संख्या में लोग जुड़ेंगे और इस यात्रा को आगे बढ़ाएंगे।
यह पहली बार है जब सनातन धर्म की चार प्रमुख परंपराएँ एक साथ आकर एकता का संदेश देंगी। यह आयोजन देश-विदेश में रहने वाले सनातनी समुदायों को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का एक सुनहरा अवसर है।
सनातन संस्कृति की समृद्धि
‘सनातन एकता यात्रा’ के लिए विशेष रूप से 16 फुट लंबी, 12 फुट चौड़ी और 8 फुट गहरी भगवान हनुमान जी की भव्य प्रतिमा ललितपुर के प्रतिष्ठित तुवन मंदिर में स्थापित की जाएगी।
प्रभु श्री राम की प्रार्थना करते हुए हनुमान जी की यह अद्वितीय मूर्ति सनातन संस्कृति की अखंडता और एकता का प्रतीक है और सनातन धर्म की चारों प्रमुख परंपराओं—वैदिक, जैन, बौद्ध और सिख—को एक सूत्र में बांधने का संदेश देती है।
सनातन सांस्कृतिक संघ की अध्यक्ष श्रीमती हरिप्रिया भार्गव का मानना है कि “सनातन संस्कृति भारत की आत्मा है, यह हमारी पहचान और ताकत है।” इसी उद्देश्य से उन्होंने इस भव्य यात्रा का आयोजन किया है।
सनातन संस्कृति ने सदियों से दुनिया को ज्ञान, दर्शन और आध्यात्मिकता का मार्ग दिखाया है, और इस यात्रा का उद्देश्य इस गौरवशाली विरासत को नई पीढ़ियों तक पहुंचाना और सहेजना है।
इस भव्य आयोजन में ललितपुर में 15,000 से अधिक लोग शामिल होंगे, जबकि झांसी में यह संख्या 35,000 तक पहुंचने का अनुमान है।
इस दिव्य यात्रा को समृद्ध करने के लिए, जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी ओंकारानंद सरस्वती जी महाराज और जैन संत मुनि श्री अविचल सागर जी महाराज अपनी उपस्थिति से इसे आशीर्वादित करेंगे।
यात्रा का रूट और आयोजन
यह ऐतिहासिक पदयात्रा 29 नवंबर 2024 को ललितपुर के तुवन मंदिर से प्रारंभ होकर टीकमगढ़, खरगापुर, छतरपुर, महोबा, कुलपहाड़, हरपालपुर, मऊरानीपुर, गुरसरांय, टहरौली, चिरगांव, बड़ागांव और 2 दिसंबर 2024 को झांसी के मुक्ताकाशी मंच पर भव्य समापन के साथ संपन्न होगी। यह आयोजन सनातन संस्कृति के मूल सिद्धांतों—शांति, सहिष्णुता और एकता—को सजीव करने का एक प्रयास है।
यात्रा में विशेष आयोजन
धार्मिक सम्मेलन :
इस यात्रा के दौरान विभिन्न धर्मों के प्रमुख धर्मगुरु एक मंच पर एकत्र होंगे और सनातन संस्कृति के मूल्यों, उसकी प्राचीन परंपराओं और आध्यात्मिक संदेशों पर चर्चा करेंगे।
सांस्कृतिक कार्यक्रम :
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करने के लिए भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न भारतीय संस्कृतियों की झलक प्रस्तुत की जाएगी। इस अवसर पर ‘सनातन’ नामक एक विशेष गीत का शुभारंभ होगा, जो सनातन धर्म की एकता, गरिमा और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रतीक बनेगा।
शैक्षणिक कार्यशालाएं :
युवाओं को सनातन संस्कृति, उसकी परंपराओं और मूल्यों से परिचित कराने के लिए शैक्षणिक कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा। इन कार्यशालाओं के माध्यम से युवाओं को अपने धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक किया जाएगा।
सेवा कार्य :
स्थानीय समुदायों की सेवा के लिए विभिन्न सेवा कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के जरिए समाज के प्रति जिम्मेदारी और सेवा भाव को बढ़ावा दिया जाएगा।
आइए अपनी सहभागिता से नई पीढ़ी को सनातन संस्कृति के मूल्यों और परंपराओं से जोड़ने में योगदान दें।सनातन सांस्कृतिक संघ से संपर्क करें और इस यात्रा का हिस्सा बनकर सनातन संस्कृति को पुनर्जीवित करने और एक नए युग का निर्माण करने में सहभागी बनें। पंजीकरण के लिए www.sanatansanskrutiksangh.org पर जाएं।
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