मात्र पेड़ काटने से रोकना पर्यावरण का हल नहीं हो सकता: पूरन डावर

अन्तर्द्वन्द





विषय गंभीर है, अगली 25 को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई है। हमें पर्यावरण को समझना होगा और उसका हल क्या है, यह विचार करना होगा। मात्र पेड़ काटने से रोकना पर्यावरण का हल नहीं हो सकता। एग्रो फॉरेस्ट्री को खेती या फोकस इंडस्ट्री की श्रेणी में लाया जाना चाहिए। एग्रो फॉरेस्टर्स पर अनुदान भी होना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाएं, पेड़ों की खेती करें।

एक पेड़ को पेड़ बनने में कम से कम 10 वर्ष लगते हैं, और यही ग्रीनरी का आधार होता था। जब से टीटीजी एरिया में पेड़ काटने पर रोक लगाई गई है, टीटीजेड में ग्रीन कवर निरंतर कम हो रहा है। नेशनल एवरेज 6% से ऊपर है, जबकि टीटीजेड में मात्र 3.5% रह गया है। जब पेड़ काटे नहीं जा सकते, तो पेड़ लगाना बंद हो गया है।

उद्यमी या रियल स्टेट प्लेयर्स लैंड बैंक लंबी अवधि के लिए तैयार करते हैं। जब तक उद्योग नहीं लगता और प्रोजेक्ट नहीं आता, तब तक पेड़ों की खेती की जाती थी और ग्रीनरी बनी रहती थी। आज स्थिति यह है कि प्राइवेट लैंड पर पेड़ नहीं लगते। प्रोजेक्ट बनने पर बाउंड्री के किनारे गिनती के पेड़ लगाए जाते हैं। कोर्ट के आर्ग्यूमेंट्स सुनकर कई बार बड़ा दुख होता है।




Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *