फसल में किसी भी कीट/रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाट्सएप नंबर 9452247111 अथवा 9452257111 एवं एन०पी०एस०एस० पोर्टल पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या व पता लिखकर मैसेज भेजकर निदान हेतु प्राप्त करें सुझाव
अधिक जानकारी के लिए निकटतम विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी कार्यालय से करें सम्पर्क
आगरा.27.01.2025/उप निदेशक (कृषि रक्षा) ने अवगत कराया है कि रबी के मौसम में मण्डल के किसानों द्वारा प्रमुख रूप से गेहूँ, आलू, राई/सरसों, चना, मटर, मसूर, मक्का एवं गन्ना की फसलें उगाई जा रही हैं, वर्तमान में मण्डल में छिट पुट वर्षा एवं तापमान में गिरावट एवं आर्द्रता वृद्धि के कारण रबी फसलो में लगने वाले सामयिक कीट/रोग के प्रकोप की सम्भावना बढ़ गयी है। उन्होंने किसान भाईयों को सम्बंधित फसलो पर लगने वाले सामयिक कीट/रोग से बचाव हेतु सुझाव देते अवगत कराया है कि कृषक बन्धु अपने-अपने फसलों कि नियमित निगरानी करें।
उन्होंने आगे यह भी अवगत कराया है कि गेहूँ में पीली गेरूई रोग के नियंत्रण हेतु प्रोपीकोनाजोल 25 प्रतिशत ई०सी० 500 मिली प्रति हे० की दर से लगभग 600-700 ली०पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। पत्ती धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु थायोफीनेट मिथाइल 70 प्रतिशत डब्लू०पी० 700 ग्राम अथवा मेन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० 2.0 किग्रा० प्रति हे० की दर से 600-700 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करना चाहिए। मक्का में तना बेधक कीट का 10 प्रतिशत मृतगोभ का आर्थिक क्षति स्तर का प्रकोप दिखाई देने पर डाईमेथोएट 30 प्रतिशत ई०सी० अथवा क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल 200 मिली० अथवा इन्डोक्साकार्ब 500 प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 ली० पानी में घोलकर छिडकाव करें। फाल आर्मी वर्ग कीट के प्रकोप से बचाव हेतु 20-25 पक्षी आश्रय (बर्ड पर्चर) तथा 3-4 को संख्या में लाइट ट्रैप लगाकर आसानी से प्रबन्धन किया जा सकता हैं। फेरोमोन टैप 35-40 प्रति हेक्टेयर की दर से लगा कर भी इसका नियंत्रण किया जा सकता है। 10-20 प्रतिशत क्षति लक्षित होने पर रासायनिक नियंत्रण का प्रयोग करना चाहिए। इस हेतु क्लोरेन्ट्रानिलीपोल 18.5 प्रतिशत ई०सी० 0.4 मिली० अथवा इमामेक्टिन बेजोडट 0.4 ग्राम अथवा थायामेथेक्साम 12.6 ग्राम प्रतिशत लैम्ब्डा-साईहेलोथिन 9.5 प्रतिशत 0.5 प्रति लीटर पानी से घोल बनाकर छिडकाव करना चाहिए। राई/सरसों में वालदार सूड़ी रोग 10-5 प्रतिशत प्रकोपित पत्तियां दिखई देने पर आर्थिक क्षति स्तर मानते हुए मैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० की 1.5 लीटर अथवा क्यूनालफास 25 प्रतिशत इ०सी० की 1.25 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे0 की दर से छिड़काव करें। पत्ती सुरंगक (लीफ माइनर) जैविक नियंत्रण कारक एजाडिरेक्टिन (नीम ऑयल) 0.15 प्रतिशत ई०सी० 2.5 लीटर प्रति हे० की दर से प्रयोग किया जा सकता है। कीट के रसायनिक नियंत्रण हेतु ऑक्सीडिमेंटॉन-मिथाइल 25 प्रतिशत ई०सी० अथवा क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई०सी० की 1.0 लीटर मात्रा को प्रति हे0 की दर से 600-750 लीटर पानी में घोल घोल बनाकर छिडकाव करें। अल्टरनेरिया पत्ती धब्बाः इस रोग के नियंत्राण हेतु मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 2.0 किग्रा० मात्रा प्रति हे० की दर से 600-750 पानी में घोल घोल बनाकर छिड़काब करना चाहिए। तुलासिता रोग के नियंत्राण हेतु मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 2 ० किग्रा० अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० की 3.0 किग्रा मात्रा प्रति हे० की बर से 600-750 पानी में लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए। सफेद गेरूई रोग के नियंत्रण हेतु मैन्कोजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत की 2.0 किग्रा० मात्रा प्रति हे० की दर से 600-750 लीटर पानी में घोल कर छिडका करें।
उन्होंने आगे यह भी अवगत कराया है कि चना/मटर/मसूर में लगने वाले सेमीलूपर कीट के नियंत्रण हेतु 50-60 बर्ड पर्वर प्रति हे० की दर से लगाना चाहिए, जिस पर चिड़िया बैठकर सूड़ियो को खा सकें, इस कीट के जैविक नियंत्रण हेतु बैसिलस ध्युरैजिनसिस (बी०टी०) की कर्सटकी प्रजाति 10 किग्रा० अथवा एजाडिरैक्टिन 0.03 प्रतिशत डब्लू०पी० की 2.5-5.0 किया 500-600 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए तथा कीट के रासायनिक नियंत्रण हेतु क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई०सी० 2.0 लीटर मात्रा को 500-600 लीटर पानी में घोलकर प्रति हे० की दर से छिड़काव करें। इसके साथ ही आलू में
पछेती झुलसा रोग का प्राकोप परिलक्षित होते ही तत्काल सिंचाई बंद कर देनी चाहिए। मांजेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्लू०पी० मात्रा 1.5-2.0 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 ली० घोलकर छिड़काव करना चाहिए तथा गन्ना में टॉप बोरर (चोटी बेधक) कीट के प्रकोप की स्थिति में ट्राइकोडमा किलोनिस के 50000-60000 अण्डे प्रति हेक्टेयर की दर से 3 बार प्रयोग करना चाहिये एवं टी०एस०बी० ल्योर 6-8 प्रति हे0 की दर से भी प्रयोग कर चोटी वेधक कटि का नियंत्रण किया जा सकता है।
उन्होंने आगे यह भी अवगत कराया है कि कृषक भाई किसी भी कीट/रोग व खरपतवार की समस्या के निवारण हेतु व्हाट्सएप नंबर 9452247111 अथवा 9452257111 एवं एन०पी०एस०एस० पोर्टल पर प्रभावित पौधों की फोटो सहित अपनी समस्या व पता लिखकर मैसेज भेजकर 48 घण्टे के अन्दर निदान हेतु सुझाव प्राप्त करें तथा निकटतम विकास खण्ड स्तर पर प्रभारी राजकीय कृषि रक्षा इकाई अथवा जनपद स्तर पर जिला कृषि रक्षा अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क करें।