आज से नहाय खाय के साथ छठ महापर्व शुरू हो चुका है। हर साल छठ पर्व और भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार छठ का महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होता है। इस खास मौके पर छठी मैया की विधि-विधान से पूजा की जाती है। छठ पूजा के दौरान चार दिनों तक सूर्य देव की विशेष पूजा करने की परंपरा है। सेवा के दौरान साफ-सफाई और पवित्रता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
पंचांग के अनुसार, छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है। वहीं, इस त्योहार का समापन सप्तमी तिथि पर होता है। ऐसे में छठ महापर्व 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर तक मनाया जाएगा।
कार्तिक छठ पूजा कैलेंडर
05 नवंबर 2024, मंगलवार- नहाय खाय
06 नवंबर 2024, बुधवार खरना
07 नवंबर 2024, गुरुवार- संध्या अर्घ्य
08 नवंबर 2024, शुक्रवार- उषा अर्घ्य
छठ पर्व कैसे मनाया जाता है?
छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय के साथ पर्व की शुरुआत होती है। इस विशेष अवसर पर पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व होता है।
इस दिन महिलाएं दिन में एक बार भोजन करती हैं।
दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक व्रत रखती हैं और पानी नहीं पीती हैं।
तीसरे दिन भी नर्जला व्रत रखा जाता है और सूर्यास्त को अर्घ्य दिया जाता है।
त्योहार के अंतिम दिन, महिलाएं सुबह सूर्य को उषा अर्घ्य देती है और शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करती हैं।
इन बातों का रखें ध्यान
छठ पूजा के दौरान बर्तन या पूजा सामग्री को किसी दूसरे के हाथ से नहीं छूना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती का व्रत खंडित हो जाता है।
महापर्व के दौरान सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए।
इसके अलावा पुराने बर्तनों का प्रयोग वर्जित होता है।
छठ महोत्सव का महत्व
छठ पूजा की शुरुआत दिवाली के बाद कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि से होती है। यह सूर्य देव को समर्पित विशेष पर्व है। इस दौरान श्रद्धालु अपने प्रियजनों की सुख, समृद्धि और लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा के शुभ अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। मान्यता है कि पूजा करने से जातक को छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है। सनातन शास्त्रों छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के दिन छठी मैया की पूजा का विशेष महत्य है।