नेशनल डिजायनर अवार्ड में दिखा कन्याकुमारी से जम्मू तक के आकर्षक परिधानों का जलवा

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आगरा, 29 दिसंबर। भारतीय कला, संस्कृति के साथ ढेरों सामाजिक संदेश भी थे। विलुप्त होती जा रही गुजरात कच्छ की रोगन आर्ट को कुछ नए अंदाज में खादी पर डिजायन कर जिन्दा रखने की मशक्कत तो वहीं प्लाजो के अनोखे अंदाज में स्टिच साड़ी में लिपटी मॉडल। कन्याकुमारी से जम्मू तक के आकर्षक परिधानों सहित 260 से अधिक ड्रेस डिजायनों का जलवा आज वर्ल्ड डिजायनर फोरम द्वारा उप्र पर्यटन विभाग के सहयोग से फतेहाबाद रोड स्थित जलसा रिसोर्ट में आयोजित नेशनल डिजायनर अवार्ड में बिखरा। जहां भारत की विशेषता अनेकता में एकता भी नजर आयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि सांसद एवं केंद्रीय मंत्री  एसपी सिंह बघेल ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

लगातार तीन बार की विनर मथुरा की ड्रेस डिजायनर दिव्यांशी गर्ग ने अपने डिजायन किए हुए 10 परिधानों के रैम्प शो के जरिय डिप्रेशन, रेप, एसिड अटैक, ड्रग एडिक्शन, चाइल्ड लेबर, चाइल्ड मैरिज, सेव अर्थ, सेव पेपर, साइवर क्राइम जैसे संदेश दिए। वहीं धमाकेदार म्यूजिक और जगमगाती रोशनी के बीच लगभग 60 मॉडलों ने हैंडवर्क, पेंटिग, मिरर के साथ विभिन्न फ्रैबिक के एथनिक, इंडो बैस्टर्न, वैस्टर्न के आकर्ष परिधानों का प्रदर्शन किया।

नेशनल डिजायनर अवार्ड के लिए 260 ड्रेस हुई शामिल

नेशनल डिजायनर अवार्ड के लिए भारत के विभिन्न प्रांतों की लगभग 200 ड्रेस डिजायनरों की 260 ड्रेस शामिल हुईं। जिसमें तीन कैटेगरी में पहली अपकमिंग डिजायनर (0 से 3 वर्ष का अनुभव), दूसरा इमर्जिंग डिजायनर (3-7 वर्ष का अनुभव), स्टेबलिश्ड डिजायनर (सात वर्ष से अधिक का अनुभव) में लगभग 40 अवार्ड प्रदान किए गए। जिसमें कच्छ की ज्योति सीजू को बेस्ट इनोवेटिव ब्रांड ऑफ व ईयर, रायपुर इंस्टीट्यूट को बेस्ट एस्थेटिक इंस्टीट्यूट, पुणे की नीरल को बेस्ट डिजायन कॉन्सेप्ट, नागपुर की शोभा को बेस्ट रैम्प कलेक्शन, जोधपुर की उषा डाबी को बेस्ट इंडो बैस्टर्न डिजायन, गुजरात की दिव्यांशी गर्ग को पुरस्कृत किया गया।निर्णायक मण्डल में आईएनएसडी मुम्बई की गायत्री आर्शी, वस्त्रालय इस्टीट्यूट जोधपुर की डॉ. शालिनी शर्मा, सेंट एन्ड्रूज गौरखपुर की एचओडी सबा नाजीन, छत्तीसगढ़ कालिंगा विवि की एचओडी डॉ. स्मिता प्रेमचंद थीं।

80 प्रतिशत चाइना से आयात होता है ब्राइडल ड्रेस मटीरियल

डब्ल्यूडीएफ (वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम) चीफ एक्जूकेटिव ऑफिसर अंकुश अनामी ने बताया कि ब्रिडल मटीरियल (दुल्हन के लहंगा) 80 फीसदी चाइना से आयात किया जा रहा है। भारत में खादी को बन रही है, लेकिन खादी सिल्क बंगला देश से आयात होता है। चीन से आयात होने वाले ब्राइडल मटीरियल को हम तभी चुनौती दे सकते हैं, जब भारत में खादी सिल्क निर्मित होने पर सरकार जोर दे। यदि भारत में खादी सिल्क बनने लगे तो ब्राइडल ड्रेस तैयार की जा सकती है। इसके लिए सामान्य खादी और खादी सिल्क के प्रति जनता की भागीदारी और रुचि होना भी जरूरी है।इस अवसर पर मुख्य रूप से डब्ल्यूडीएफ (वर्ल्ड डिजायनिंग फोरम) चीफ एक्जूकीटिव ऑफिसर अंकुश अनामी, सृष्टि कुलश्रेष्ठ, श्रुति अग्रवाल, श्रुति शर्मा, पुष्पेन्द्र परिहार, तिलक चौहान, मयंक, अंकुश, रवि चौहान आदि उपस्थित रहे।

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