Agra News: गांव काकुआ में हज़रत खलीफा अब्दुल रशीद कादरी का पहला उर्स अकीदत और शान-ओ-शौकत से मनाया गया

Press Release

आगरा। भाई गांव काकुआ स्थित आस्ताना-ए-इस्हाकिया वा रशीदिया में सोमवार को हज़रत खलीफा अब्दुल रशीद कादरी, नक्शबंदी, संदली, इस्हाकी रह. का पहला उर्स मुबारक पूरी शान-ओ-शौकत और परंपरागत रस्मो-रिवाज़ के साथ मनाया गया। यह उर्स 11 जमादि-उल-अव्वल 1447 हिजरी मुताबिक 3 नवंबर 2025 को सज्जादानशीन मियां मोहम्मद हुसैन रशीदी कादरी, नक्शबंदी, संदली, इस्हाकी मुजद्दिदी की सरपरस्ती में आयोजित हुआ।

कार्यक्रम की शुरुआत नमाज़-ए-जौहर के बाद हज़रत ओलिया बाबा रह. के आस्ताने से संदल का जुलूस निकालकर की गई, जो मियां मोहम्मद हुसैन रशीदी की रहनुमाई में भाई गांव पहुंचा। नमाज़-ए-असर के बाद मजार शरीफ का गुलाब जल से गुस्ल दिया गया और बड़ी संख्या में उपस्थित मुरीदों व अकीदतमंदों ने चादर व संदल पेश किया।

नमाज़-ए-मगरिब के बाद फातिहा और लंगर-ए-आम का आयोजन हुआ। रात 9 बजे शुरू हुई महफिल-ए-शमा (कव्वाली) में सूफियाना कलाम पेश किया गया, जिसने माहौल को रूहानी बना दिया और अकीदतमंद झूम उठे।

इस मौके पर अपने खिताब में मियां मोहम्मद हुसैन रशीदी ने कहा— “अल्लाह के वालियों की मोहब्बत बालाओं को रद्द कर देती है। जो लोग मोहब्बत और खलूस के साथ उर्स में हाज़िर होते हैं, उनकी तमन्नाएं पूरी होती हैं और मुश्किलें आसान हो जाती हैं। अल्लाह के रसूल (स.अ.व.) ने फरमाया कि इंसान क़यामत के दिन उसी के साथ होगा जिससे वह मोहब्बत करता है।”

उन्होंने कहा कि नेकों से मोहब्बत करने वाला नेकों के साथ, और बुरों से मोहब्बत करने वाला बुरों के साथ उठाया जाएगा।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में आली जनाब मोहतशिम अली साहब, सज्जादानशीन दरगाह हज़रत सैयदना अमीर अबुलउल ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि “जितनी मोहब्बत इंसान अल्लाह के वालियों से करता है, उतना ही उसे फैज़ और रहमत हासिल होती है।”

इस मौके पर बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे, जिनमें प्रमुख रूप से — मोहम्मद उबैर हुसैन, मोहम्मद हस्सान, तस्लीम हुसैन, हाजी सुल्तान, सूफी मोहम्मद इकबाल, डॉ. जाबिद, डॉ. इमरान सय्यद राहत कादरी, मोहम्मद सलीम, हाजी नबाव, मोहम्मद इदरीस, फरीद कादरी, मोहम्मद आरिफ, अशफाक, नईम, शाहिद, निजाम, आज़ाद पार्षद, सूफी मोहम्मद इसहाक, मोहम्मद इस्लाम, यामीन अशर्फी, भूल्लन मास्टर, सुहेल, इब्राहीम, इसराइल, मुन्नू उस्मानी, फैजान उस्मानी, ज़ाहीर उस्मानी, शाखबुद्दीन उस्मानी, समीर, शफी मोहम्मद, हाजी साबिर, साका, मोहम्मद अंसार, अलीमुद्दीन, करीमुद्दीन, लाला भाई, शमीम भाई सहित सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए।

उर्स का समापन दुआ-ए-खैर के साथ हुआ, जिसमें मुल्क में अमन, सलामती और भाईचारे की दुआ की गई।

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