कथावाचक का जीवन चुनौतीपूर्ण, दुधारी तलवार पर चलने के समान: कीर्ति किशोरी

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आगरा। अनुभव निधि आश्रम, उजरई कलां में रविवार को श्री हरि सत्संग समिति और महिला समिति द्वारा आयोजित भव्य दीक्षांत समारोह में वनवासी क्षेत्रों से आए नव प्रशिक्षित कथाकार भाई-बहनों को संकल्प पत्र और विदाई भेंट के साथ भावभीनी विदाई दी गई। इस अवसर पर कथावाचक कीर्ति किशोरी ने आशीर्वचन देते हुए कहा, “कथावाचक का जीवन चुनौतीपूर्ण होता है, दुधारी तलवार पर चलने के समान है, लेकिन रुकना नहीं है, चलते ही जाना है।”

उन्होंने कहा कि “प्रभु भक्ति में अति भी बुरी नहीं होती। हमें अपने जीवन को विलासिता से निकालकर भक्ति की ओर मोड़ना चाहिए। काम, क्रोध, लोभ, मोह जैसे विकारों से मुक्त होकर ही सच्चा आध्यात्मिक जीवन संभव है।” उन्होंने राम नवमी की शुभकामनाएं देते हुए भगवान श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात करने का संदेश दिया।

समारोह में विशेष रूप से उपस्थित महामंडलेश्वर श्रीकृष्णा माताजी ने कहा, “श्री हरि सत्संग समिति का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है, जो वनवासी भाई-बहनों में आध्यात्मिक चेतना का संचार कर रहा है।”

कार्यक्रम के प्रारंभ में संस्था के महामंत्री श्री उमेश बंसल ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उपाध्यक्ष मुरारी प्रसाद अग्रवाल ने भावुक होकर कहा, “आज का यह क्षण हमारी अपनी बेटियों की विदाई जैसा है। आप जब भी मथुरा-वृंदावन आएं, इस घर को न भूलें।” कार्यकारी अध्यक्ष भगवान दास बंसल ने श्रीकृष्ण के संदेश का उल्लेख करते हुए सभी को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की प्रेरणा दी।

वनवासी कथाकारों ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण उनके जीवन को एक नई दिशा देने वाला है। सभी ने अपने-अपने क्षेत्रों में श्रीकृष्ण कथा का प्रचार-प्रसार करने का संकल्प दोहराया। इस भावुक पल को चैतन्य महाप्रभु के भजनों और लोकनृत्य ने एक मनोहारी आयाम दिया।

समारोह में महिला समिति की अध्यक्षा अंशु अग्रवाल, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. रंजना बंसल विशिष्ट अतिथि रहीं। मंच संचालन महिला समिति की महामंत्री श्रीमती रुचि अग्रवाल ने किया।

समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष रमेश मित्तल, संयोजक संजय गोयल, मंत्री संजय मित्तल, महिला समिति की रश्मि सिंघल, मीनू त्यागी, सीमा अग्रवाल, निशा मंगल, मधु गोयल और अन्य गणमान्यजन भी उपस्थित रहे। अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल ने आभार व्यक्त करते हुए सभी को अपने क्षेत्र में भक्तिभाव से सेवा करने और सनातन संस्कृति की पताका फहराने का आह्वान किया।

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