कासगंज के 16 फर्जी शिक्षक 12 साल से भूमिगत

Crime उत्तर प्रदेश स्थानीय समाचार

कासगंज (आगरा)। कासगंज जनपद में अनामिका प्रकरण के बाद फर्जी शिक्षक की दूसरी गिरफ्तारी सिढ़पुरा पुलिस ने की है। इसके अलावा और किसी भी फर्जी शिक्षक की न तो गिरफ्तारी हो सकी है और न ही बेसिक शिक्षा विभाग उनसे रिकवरी कर सका है। 12 साल से 16 फर्जी शिक्षक भूमिगत हैं। सिढ़पुरा पुलिस कार्रवाई अन्य थानों के लिए सबक दे रही है।
बेसिक शिक्षा विभाग का फर्जीवाड़े से पुराना नाता रहा है। वर्ष 2010 में 11 और वर्ष 2011 में पांच जालसाज फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षक बन गए।  बिना दस्तावेजों के सत्यापन के इन्हें शिक्षा विभाग से वेतन भी मिलने लगा। विभाग के किस अधिकारी की इन पर मेहरबानी रही यह तो अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है, लेकिन वर्ष 2012 में सत्यापन के बाद फर्जीवाड़े की कलई खुली तब शिक्षक फरार हुए। इनमें चार शिक्षक मैनपुरी के और 12 शिक्षक फर्रुखाबााद जिले के थे। विभाग की मेहरबानी इनके फर्जीवाड़े के बाद भी कम नहीं हुई। विभाग ने इन पर मुकदमा दर्ज नहीं कराया। वर्ष 2015 में तत्कालीन डीएम के. विजेंद्र पांडियान के संज्ञान में जब यह मामला आया तो उन्होंने लापरवाहों को फटकार लगाई। यह शिक्षक सिढ़पुरा और पटियाली ब्लाक पर तैनात थे। डीएम की फटकार के बाद इन सभी पर पटियाली थाने पर मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन अभी तक न तो पुलिस इनकी गिरफ्तारी कर सकी है और न ही बेसिक शिक्षा विभाग इनसे रिकवरी कर सका है।

 

किसान सम्मान निधि की सरकारी रकम लेकर लापता हो गए अपात्र

कासगंज(आगरा)। अपात्र होेने के बाद भी फर्जीवाड़ा कर किसान सम्मान निधि का लाभ लेने वाले अब लापता हो गए हैं। छह महीने पहले हुए फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद इन पर अंकुश तो लगा, लेकिन कृषि विभाग उनको दी गई धनराशि की वसूली नहीं कर पा रहा है। छह महीने में 50 फीसद तक वसूली नहीं हो पाई है।
कृषि और राजस्व विभाग की अनदेखी के चलते यह फर्जीवाड़ा जिले में होता रहा। ऐसे किसानों के नाम भी फीड कर दिए गए जो या तो आयकरदाता हैं या बड़े किसान हैं। किसी भी हालत में पात्रता की श्रेणी में नहीं है। जिले में यह धांधली पिछले एक साल से चलती रही, लेकिन छह महीने पहले यह फर्जीवाड़ा शासन स्तर से पकड़ा गया। उसके बाद अपात्रों को चयनित करने के आदेश मिले। कृषि विभाग अब तक अपात्र किसानों को चयनित कर चुका है। चयन के साथ साथ उनसे सम्मान निधि की धनराशि वसूली के आदेश भी किए गए, लेकिन विभाग सभी अपात्र किसानों से सम्मान निधि की रिकवरी नहीं कर पाया है।

 

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