आज मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 अरूण कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में नेशनल प्रोग्राम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ के अंतर्गत “जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य“ विषय पर अंतर्विभागीय कार्यशाला, विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान पर अंतर्विभागीय बैठक तथा मानसिक स्वास्थ्य हेतु संवेदीकरण विकास भवन सभागार में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम नेशनल प्रोग्राम फॉर क्लाइमेट चेंज एंड ह्यूमन हेल्थ के अंतर्गत कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विशेषज्ञों द्वारा बताया गया कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन की ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट में यह इंगित किया गया है कि कार्बनडाई आक्साइड तथा अलीनीनो में निरंतर वृद्धी के कारण वर्ष 2023 से भी ज्यादा गर्म, वर्ष 2024 रहेगा।
कार्यशाला में मुख्यतः हीट वेव से सम्बन्धित रोक-थाम, लक्षण व उपचार के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया कि भारत सरकार द्वारा इस वर्ष सबसे ज्यादा तापमान रहने की संभावना व्यक्त करते हुए चेतावनी जारी की गई है, जिसके लिये विभिन्न विभागों द्वारा कार्यों का निर्धारण करते हुए उन्हें निष्पादित कराने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में बताया गया कि हीट स्टॉक से पीड़ित व्यक्ति के शरीर का तापमान लगभग 104 फारेनहाइट से अधिक होगा, उसके सिर में बहुत देज दर्द होगा, पीड़ित को घबराहट चक्कर आने के साथ-साथ उल्टी या मितली भी आने की आशंका रहती है, ऐसे व्यक्ति को छांव वाली जगह पर आराम से बैठायें और तरल पेय जो भी उपलब्ध हो जैसे- ठंडा पानी, ओआरएस का घोल आदि धीरे-धीने पिलायें और उसके शरीर को ठंडा करने के लिये कपड़े को ठंडे पानी से भिगोकर उसके शरीर को पोछें, साथ ही यह भी ध्यान रखें कि पेय पदार्थ सिर्फ सचेत अवश्था में ही दें। स्थिति सामान्य न होने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र अथवा चिकित्सालय में ले जाकर चिकित्सक से परामर्श लें।
हीट वेब से बचाव के लिये बताया गया कि यदि आवश्यक न हो तो बाहर धूप में न जायें, अधिक श्रम आदि से बचें, साथ ही मादक पदार्थों का प्रयोग न करें, इसके आलावा यदि आवश्यक है तो अपने साथ ठंडे पानी की बोतल अवश्य रखें और धूप से बचने के लिये हल्के ढीले सूती कपड़े पहनें। विशेष तौर पर बच्चों वयोवृद्धों और गर्भवती महिलाओं को धूप में न जाने दें।
कार्यशाला में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत भी संवेदीकरण किया गया, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य पर व्याख्यान देते हुए एसएन मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 विशाल सिन्हा ने बताया कि मनोरोग कोई लाइलाज बीमारी नहीं है और ना ही इसे छिपाने की आवश्यकता है, सिर्फ ये मस्तिष्क के विकार के कारण उत्पन्न होती है, जिसका अब सार्थक व समुचित निदान किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मानसिक विकार कई प्रकार के होते हैं, जिसमें चिन्ता के कारण, अवसाद के कारण, अवशेसिव-कम्पलसिव डिसआर्डर के कारण मस्तिष्क में विकार उत्पन्न होते हैं।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा बताया गया कि जनपद में जिला मानसिक स्वास्थ्य टीम द्वारा जिला अस्पताल आगरा में ओपीडी कक्ष संख्या-202 व 203 में मानसिक रोगियों को ओपीडी प्रदान की जाती है, जिसमें समुचित स्टाफ उपस्थित रहता है इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग द्वारा 35 मेडिकल आफिसर्स, 20 स्टाफ नर्स और 05 फार्मासिस्टों को ग्रमीण क्षेत्र के चिकित्सालयों हेतु प्रशिक्षित किया गया है और नियमित रूप से जिला मांसिक स्वास्थ्य टीम द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में कैम्प लगाकर सेवायें प्रदान की जाती हैं।
उक्त के अतिरिक्त स्कूल, मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत स्कूलों में 02-02 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है, साथ ही स्कूल के 02 छात्रों को मन-दूत और मन-परी के रूप में नियुक्त कर स्कूली छात्रों में मानसिक विकार को चिन्हित करने के लिये प्रशिक्षित किया गया। भारत सरकार द्वारा मानसिक रोगियों को दूरभाष के माध्यम से चिकित्सीय परामर्श आदि प्रदान करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय टेली मानस स्वास्थ्य कार्यक्रम के अन्तर्गत टेली मानस टॉल फ्री नंम्बर-14416 व 1800-89-14416 जारी किया गया।