डब्ल्यूआईपीओ संधि भारत और ग्लोबल साउथ के लिए एक बड़ी जीत

Exclusive

नई दिल्ली। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) संधि भारत और वैश्विक दक्षिण के लिए एक ‘महत्वपूर्ण जीत’ है, क्योंकि इससे इन देशों के पारंपरिक ज्ञान की रक्षा करने में मदद मिलेगी। यह संधि न केवल जैव विविधता की रक्षा और सुरक्षा करेगी बल्कि पेटेंट प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाएगी और नवोन्‍मेषण को सुदृढ़ करेगी।

करीब 25 साल की चर्चा और बातचीत के बाद हाल ही में जिनेवा स्थित डब्ल्यूआईपीओ मुख्यालय में आनुवंशिक संसाधनों और आनुवंशिक संसाधनों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान से संबंधित एक ऐतिहासिक संधि हुई। यह संधि भारत और विकासशील देशों के लिए भी एक बड़ी जीत का प्रतीक है,जो लंबे समय से इसके समर्थक रहे हैं। दो दशकों की वार्ता और सामूहिक समर्थन के बाद इस संधि को 150 से अधिक देशों की आम सहमति से बहुपक्षीय मंचों पर अपनाया गया है।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा पहली बार ज्ञान और बुद्धिमत्ता की वह प्रणाली, जिसने सदियों से अर्थव्यवस्थाओं,समाजों और संस्कृतियों की सहायता की है, अब वैश्विक आईपी प्रणाली में शामिल हो गई है। पहली बार स्थानीय समुदायों और उनके जीआर और एटीके के बीच संबंध को वैश्विक आईपी समुदाय में मान्यता मिली है। ये पारंपरिक ज्ञान और बुद्धिमत्ता के प्रदाता और जैव विविधता के भंडार के रूप में भारत द्वारा लंबे समय से समर्थित ऐतिहासिक उपलब्धियां हैं।

डब्ल्यूआईपीओ ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा डब्ल्यूआईपीओ के सदस्य देशों ने आईपी, आनुवंशिक संसाधनों और संबंधित पारंपरिक ज्ञान पर एक संधि अपनाई है। यह उन पेटेंट आवेदकों के लिए एक प्रकटीकरण आवश्यकता स्थापित करता है,जिनके आविष्कार आनुवंशिक संसाधनों या संबंधित पारंपरिक ज्ञान पर आधारित हैं।

बता दें कि अतीत में कई भारतीय जड़ी-बूटियों और अन्य उत्पादों का विदेशी आविष्कार के तौर पर झूठा दावा किया गया है,जिसके बाद कई पेटेंट आवेदनों का भारत ने विरोध किया है। भारत एकमात्र देश था, जिसने संधि वार्ता के लिए आधार पाठ (बेस टेक्स्ट) पर एक विस्तृत पेपर तैयार किया था।

सम्मेलन के दौरान, भारत ने मसौदा संधि पाठ में कई संशोधनों का प्रस्ताव रखा, जिनमें से कुछ परिवर्तनों को अन्य देशों का भी समर्थन मिला और उन्हें अंतिम संधि दस्तावेज़ में शामिल किया गया। यह संधि सामूहिक विकास अर्जित करने और एक स्थायी भविष्य, जिसका भारत ने सदियों से समर्थन किया है, का वादा पूरा करने की यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है।

रिपोर्ट- शाश्वत तिवारी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *