जब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या सामान्य आदमी के खिलाफ क्रिमिनल केस खारिज हो जाता?

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सुप्रीम कोर्ट ने नेताओं के विरोध प्रदर्शनों की वैधानिकता पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं के दिल्ली में हाल के मामले का जिक्र भी कर दिया। दरअसल, कर्नाटक हाईकोर्ट ने विरोध-प्रदर्शन के दौरान सिद्धरमैया समेत कई कांग्रेसी नेताओं के सड़क बंद करने को लेकर उन पर जुर्माना लगा दिया था और उन्हें अगली सुनवाई में पेश होने को कहा था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए उनके खिलाफ हाईकोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगा दी है।

दो जजों की बेंच में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस पी के मिश्रा ने कर्नाटक सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया है। माना जा रहा है कि कोर्ट इस मामले को ध्यान से देखेगी और विरोध प्रदर्शन के कानूनी पहलुओं का गहराई से अध्ययन करेगा।

क्या आम आदमी के खिलाफ खारिज होता मामला?

जस्टिस प्रशांत कुमार ने एक दिलचस्प सवाल पूछकर मामले को और उलझा दिया उन्होंने पूछा, ‘अगर कोई आम आदमी ऐसा ही विरोध प्रदर्शन करता तो क्या उसके खिलाफ भी क्रिमिनल केस खारिज हो जाता?’ उन्होंने बताया कि कोर्ट पहले भी ऐसे मामलों का हवाला दे चुका है, जहां नेताओं को शामिल किया गया था जिससे कानूनी व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठता है।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 6 फरवरी को एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क बंद करने के मामले में मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था कोर्ट ने यह कहा कि लोगों का प्रतिनिधि होने के कारण सड़क अवरुद्ध करने का कार्य स्वीकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने जिस मामले में सख्त रुख अपनाया। वह अप्रैल, 2022 से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने तमाम नेताओं को अगली सुनवाई पर पेश होने को भी कहा है।

जानिए क्या था पूरा मामला

पीठ ने कांग्रेस नेताओं को फटकार लगाते हुए कहा कि शहरी जीवन एक यातना है, विरोध प्रदर्शनों ने शहरों में स्थिति को और खराब कर दिया है। इसी कारण से सड़कों को जाम करने का कार्य मंजूर नहीं हो सकता है। हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में 14 अप्रैल 2022 को सीएम सिद्दारमैया और अन्य कांग्रेस नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। कांग्रेस पार्टी ने एक ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले पर विरोध प्रदर्शन किया था और तत्कालीन मंत्री केएस ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग की थी।

सिद्धारमैया पर लगा 10 हजार का जुर्माना

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के मुख्यमंत्री और अन्य नेताओं के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने के फैसले ने उन्हें राहत की सांस दी है, खासकर तब जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने उनमें से प्रत्येक पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया था। इसके अतिरिक्त हाईकोर्ट ने उन्हें 6 मार्च को एक विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था, जिसे अब शीर्ष अदालत ने रोक दिया है।

-एजेंसी

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