मलेशिया की सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया शरिया कानून, तो भड़के इस्लामिक कट्टरपंथी

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मलेशिया की सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है, जो इस्लामिक कट्टरपंथियों को नाराज करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केलंतन राज्य में शरिया आधारित आपराधिक कानूनों को रद्द कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संघीय सरकार का अधिकार है और इस तरह के कानून उसका अतिक्रमण हैं। इस्लामवादियों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की निंदा की है और कहा कि यह धार्मिक अदालतों को कमजोर कर सकता है। केलंतन राज्य सरकार विपक्ष की ओर से संचालित है।

नौ सदस्यीय संघीय न्यायालय ने 8-1 के बहुमत से केलंतन राज्य सरकार की ओर से बनाए गए 16 कानूनों को अमान्य करार दिया, जिसमें कुकर्म, यौन उत्पीड़न, अनाचार और ‘क्रॉस ड्रेसिंग’ (विपरीत लिंग से संबंधित कपड़े पहनना) से लेकर झूठे सबूत देने तक के अपराधों के लिए दंड का प्रावधान किया गया था। अदालत ने कहा कि राज्य इन विषयों पर इस्लामी कानून नहीं बना सकते, क्योंकि वे मलेशियाई संघीय कानून के अंतर्गत आते हैं।

मलेशिया में दो स्तरीय कानून प्रणाली

मलेशिया में दो स्तरीय कानून प्रणाली है, जिसमें शरिया के तहत मुस्लिमों के व्यक्तिगत और पारिवारिक मामले आते हैं और सिविल कानून भी हैं। जातीय मलय, जिनमें से सभी को मलेशियाई कानून में मुस्लिम माना जाता है यह 3.3 करोड़ लोगों में से दो-तिहाई हैं। इस जनसंख्या में बड़ी आबादी में चीनी और भारतीय अल्पसंख्यक भी शामिल हैं।

केलंतन एक ग्रामीण पूर्वोत्तर राज्य है, जहां 97 फीसदी मुस्लिम रहते हैं। शुक्रवार को आया फैसला 2022 में केलंतन की दो मुस्लिम महिलाओं की ओर से दायर किया गया था। रूढ़िवादी पैन-मलेशियाई इस्लामिक पार्टी या PAS का राज्य पर 1990 से शासन है।

शरिया कानून पर खतरा?

राज्य के कानूनों को चुनौती देने वाले वकील निक एलिन निक अब्दुल रशीद ने कहा कि अदालत का फैसला मलेशियाई संविधान को देश के सर्वोच्च कानून के रूप में प्रमाणित करता है। पैन मलेशियाई इस्लामिक पार्टी के सैकड़ों समर्थक शरीयत की सुरक्षा की मांग करते हुए संघीय अदालत के बाहर इकट्ठा हुए।

PAS महासचिव तकीउद्दीन हसन ने कहा, ‘हम आज बहुत दुखी हैं, यह इस्लामी शरिया कानूनों के लिए एक काला शुक्रवार है। अब शरिया कानूनों को दूसरे राज्यों में भी इसी जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।’

-एजेंसी

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