पश्चिम बंगाल पुलिस ने बीजेपी के दल को पीड़ितों से मिलने नहीं जाने दिया संदेशखाली

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पश्चिम बंगाल पुलिस ने बीजेपी के एक छह सदस्यीय दल को उत्तर चौबीस परगना के संदेशखाली गांव की ओर जाने से रोक दिया है.

संदेशखाली में टीएमसी नेता शाहजहां शेख़ के घर ईडी की छापेमारी के दौरान हुई झड़पों के बाद से माहौल अशांत है.
इलाक़े की कई महिलाओं ने शाहजहां शेख़ पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं, जिसे लेकर यहां टीएमसी और बीजेपी के बीच राजनीतिक तनातनी चल रही है.

पुलिस की ओर से रोके जाने पर केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा, ”हम सिर्फ उनसे (पीड़ितों) मिलने जा रहे थे लेकिन अगर पुलिस कह रही है कि धारा 144 लागू है तो हम बता दें कि हम सिर्फ छह लोग हैं. हम क़ानून का सम्मान करते हैं. हम सिर्फ पीड़ितों से मिलना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि उन्हें न्याय मिले.”

पश्चिम बंगाल में संदेशखाली में महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला सियासी तौर पर तूल पकड़ता जा रहा है. आरोप है कि यहां तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहाँ शेख़ और उनके सहयोगी गांव के लोगों को डरा-धमका रहे हैं और महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं. टीएमसी ने इन सभी आरोपों को ख़ारिज किया है.

लेकिन शाहजहाँ शेख़ और उसके दो ताक़तवर सहयोगियों के कथित अत्याचारों और यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ गाँव की महिलाओं के विरोध के चलते कालिंदी नदी के किनारे बसा यह गाँव अचानक सुर्ख़ियों में आ गया है.

पिछले दिनों तृणमूल कांग्रेस नेताओं के घरों और मुर्गी पालन केंद्र पर नाराज़ महिलाओं के हमले और आगजनी के बाद अब संदेशखाली का मामला बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता दिख रहा है.

पार्टी ने स्थानीय नेताओं के ख़िलाफ़ उठने वाले आरोपों को बंगाल विरोधी प्रचार बताया है. तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने पार्टी के नेताओं के ख़िलाफ़ लगे आरोपों को ख़ारिज कर दिया है.

उन्होंने बुधवार को पत्रकारों से कहा, “राष्ट्रीय महिला आयोग के प्रतिनिधियों ने इलाक़े का दौरा करने के बाद कहा है कि उनको बलात्कार या महिलाओं को जबरन उठाने संबंधी कोई शिकायत नहीं मिली है. लेकिन इसके बावजूद बीजेपी और सीपीएम सुनियोजित तरीक़े से बंगाल विरोधी प्रचार कर रही है.”

-एजेंसी

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