वीवीएस लक्ष्मण भी नहीं बनेंगे टीम इंडिया के हेड कोच, आवेदन करने से इंकार

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भारतीय क्रिकेट टीम के अगले हेड कोच की दौड़ दिलचस्प होती जा रही है। मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ का कार्यकाल 2024 टी-20 वर्ल्ड कप के साथ खत्म हो रहा है, जो जून के अंत तक चलेगा। बीसीसीआई ने नए कोच के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। अगले कोच का कार्यकाल साढ़े तीन साल का होगा, जो 2027 के अंत तक चलेगा। इस दौरान 2025 चैंपियंस ट्रॉफी, 2027 वनडे वर्ल्ड कप जैसे बड़े इवेंट आएंगे।

कई रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि लंबे समय बाद भारतीय टीम को कोई विदेशी कोच मिल सकता है क्योंकि राहुल द्रविड़ के बाद इस पद के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार माने जा रहे वीवीएस लक्ष्मण ने भी आवेदन करने से इंकार कर दिया है। वीवीएस लक्ष्मण फिलहाल राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी के हेड का पद संभाल रहे हैं। चलिए आपको तीन बड़ी वजह बताते हैं कि क्यों बड़े नाम टीम इंडिया के हेड कोच पद के लिए आवेदन करने से हिचकिचा रहे हैं।

हाई प्रेशर माहौल

भारतीय टीम के हेड कोच के पास सिर्फ खिलाड़ियों को मैनेज करने की ही जिम्मेदारी नहीं बल्कि सवा सौ करोड़ से ज्यादा फैंस, मीडिया और क्रिकेट अधिकारियों का भी भारी दबाव होता है। ऐसे में कई बड़े नाम इतना तनाव लेना पसंद नहीं करते, जहां लगातार वह मीडिया की नजरों में हो। हारने पर कड़ी आलोचना की जाएं। साथ ही बेहद छोटे कार्यकाल में बेहतर रिजल्ट देने का भी दबाव होता है। खासकर यदि टीम अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो सारा दोष कोच पर मढ़ दिया जाता है।

हितों का टकराव

कुछ मशहूर कोच पहले से ही अन्य टीमों, लीगों या क्रिकेट बोडौँ से जुड़े हो सकते हैं, जिससे हितों के टकराव के कारण उनके लिए भारतीय टीम को कोचिंग देने का काम मुश्किल हो जाता है। भारतीय टीम 12 में से नौ महीने क्रिकेट खेलती है। यानी बतौर कोच आपको साल भर मैदान पर रहना होगा। परिवार से दूरी सहनी होगी। इस बीच आप किसी तरह का कोई दूसरा काम नहीं कर सकते। उम्मीदवारों को पैसों का भी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

टी-20 लीग को प्राथमिकता

कुछ मशहूर कोच नेशनल टीम की कोचिंग की बजाय आईपीएल जैसे टी-20 टूर्नामेंट की कोचिंग को तरजीह देते हैं, जो न सिर्फ कुछ महीने चलता है बल्कि उसमें मिलने वाले पैसे और पुरस्कार भी आकर्षक होते हैं। शायद यही वजह है कि अब इंग्लैंड, पाकिस्तान जैसी कई टीम अलग-अलग फॉर्मेट के लिए अलग- अलग कोच के फॉर्मूल में काम कर रही है। विदेशी कोच के भारत आने से यहां की लाइफस्टाइल और संस्कृति में ढलने में भी वक्त लगता है।

-एजेंसी

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