अबू धाबी की यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूएई के साथ मिडिल ईस्ट यूरोप कॉरिडोर के लिए समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इसके साथ ही भारत से लेकर यूरोप तक कॉरिडोर का रास्ता अब साफ हो गया है। भारत ने यूएई के साथ यह करार ऐसे समय पर किया है जब इजरायल और हमास के बीच गाजा में भीषण युद्ध का दौर जारी है। इस कॉरिडोर में इजरायल एक अहम हिस्सा है जो भारत को यूरोप से जोड़ेगा।
गाजा तनाव को देखते हुए यूएई के साथ हुए करार में कहीं भी इजरायल का जिक्र नहीं किया गया है। पीएम मोदी और यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ने मंगलवार को इजरायल-हमास युद्ध और लाल सागर संकट पर गंभीर चर्चा की जहां हूती विद्रोही मिसाइल हमले कर रहे हैं।
भारत ने कहा है कि दोनों नेता इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर या IMEC को शुरू करने की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए सहमत हो गए। इस महत्वाकांक्षी कॉरिडोर का पिछले साल सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान किया गया था। अमेरिका की मदद से बनाए जाने वाले इस कॉरिडोर भारत अरब सागर के रास्ते यूएई से जुड़ेगा और वहां से फिर से सामान को ट्रेन के रास्ते सऊदी अरब, जॉर्डन तथा इजरायल के रास्ते यूरोप तक भेजा जाएगा। इस कॉरिडोर को जहां पहले चीन के बीआरआई से टक्कर देने के लिए बनाने का ऐलान किया गया था लेकिन अब इसका फायदा हूतियों के खतरे से निपटने में भी होगा।
इजरायल को लेकर यूएई का रुख सख्त, पर संबंध बरकरार
भारत और खाड़ी देशों के बीच सैकड़ों साल से समुद्री रास्ते व्यापार होता रहा है। लाखों की तादाद में भारतीय खाड़ी देशों में रहते हैं। भारत ने बुधवार को अबू धाबी में कहा कि हालांकि गाजा में संघर्ष और लाल सागर की स्थिति चिंता का विषय बनी हुई है और दोनों नेता इन मुद्दों पर नजर रख रहे हैं और जानकारी का आदान-प्रदान कर रहे हैं, लेकिन आर्थिक सहयोग को आगे बढ़ाना, जारी रखना और गति बनाए रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। मिडिल ईस्ट कॉरिडोर के बन जाने पर भारत और खाड़ी देशों तथा यूरोप के बीच बहुत तेजी से व्यापार संभव हो सकेगा।
चीन बहुत बड़े पैमाने पर बीआरआई को बढ़ा रहा है। ऐसे में इसे चीन के बढ़ते प्रभाव और बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के निवेश का मुकाबला करने के तरीके के रूप में भी देखा जाता है। इंडिया-मिडिल ईस्ट कॉरिडोर पर हुए समझौते के समय गाजा में चार महीने से अधिक समय से संघर्ष चल रहा है, जिसने अमेरिका समर्थित योजनाओं को बाधित कर दिया है। इससे इजरायल को उसके अरब पड़ोसियों के साथ और अधिक एकीकृत करने की योजना ठप हो गई है।
सऊदी अरब ने भी इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने को रोक दिया है। यूएई ने साल 2020 में अमेरिका समर्थित ‘अब्राहम समझौते’ के तहत इजरायल के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए थे। इसके बाद बहरीन समेत अन्य अरब देशों ने भी संबंध स्थापित किए थे।
चीन के खिलाफ भारत-यूएई एक साथ!
यूएई ने पूरे गाजा संघर्ष के दौरान इजरायल के साथ संबंध बनाए रखा है, हालांकि उसने लगातार इजरायल की बमबारी की आलोचना की है और सीधी कार्रवाई रोकने का आह्वान किया है। भारत और यूएई के बीच तय इस समझौते से संकेत मिलता है कि दोनों देश गलियारे को स्थापित करने की योजना को आगे बढ़ा रहे हैं, जो चीन के वैश्विक व्यापार बुनियादी ढांचे के ‘बेल्ट एंड रोड’ रणनीति को भी चुनौती दे सकता है। यह हस्ताक्षर तब हुआ है जब यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में चलने वाले जहाजों पर हमले शुरू कर दिए हैं। इन हमलों ने समुद्री मार्ग के माध्यम से व्यापार को खतरे में डाल दिया है।
-एजेंसी