आगरा: आगरा में आयोजित तीन दिवसीय चतुर्थ राष्ट्रीय प्राकृत संगोष्ठी का दूसरा दिन महावीर भवन, जैन स्थानक में बहुश्रुत श्री जयमुनि के सानिध्य में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस संगोष्ठी में देश भर से आए विद्वानों ने जैन आगम स्थानाङ्गसूत्र पर गहन चर्चा की।
दूसरे दिन की शुरुआत चतुर्थ सत्र के साथ हुई, जिसमें प्राकृत भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार पर चर्चा हुई। विजयकुमार जैन (निर्देशक, बी.एल.आई-दिल्ली), धरमचंद जैन (जैन दर्शन के विद्वान, जयपुर) और जीतू भाई शाह (निर्देशक श्रुत रत्नाकर, अहमदाबाद) जैसे प्रतिष्ठित विद्वानों ने भविष्य में शिक्षा पद्धति में प्राकृत भाषा के उपयोग की योजनाओं पर विचार किया। अन्य विद्वानों ने प्राकृत को दैनिक जीवन में लाने के लिए अपने विचार साझा किए।
पंचम सत्र में, सुनैना जैन (हिसार), श्वेता जैन (जोधपुर), सुनीता जैन (दिल्ली) और एम. चंद्रशेखर ने ब्रह्मचर्य, ज्ञान, चौभंगी शैली और क्रोध के प्रकार जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डाला।
छठे सत्र में, सुमतकुमार जैन (उदयपुर), पत्रिका जैन (लखनऊ), पवनकुमार जैन (जोधपुर), अक्षिता संघवी (अहमदाबाद) और फूलचंद शास्त्री (उदयपुर) ने अभिनयवर्णन, पांच रसों के परित्याग, चिकित्सा विज्ञान, दस आश्चर्य और पांच निर्ग्रंथों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी के सातवें और आठवें सत्र में, विजयकुमार जैन (दिल्ली), डॉ. वैशाली शाह (अहमदाबाद) और सुभाष कोठारी (उदयपुर) ने स्थानाङ्गसूत्र में वर्णित जीव और जगत की व्याख्या, ‘एगा आया एगा वेयणा’, चार प्रकार की अंतःक्रिया और श्रमणोपासक के चतुर्विध वर्गीकरण जैसे गहन विषयों का अद्भुत प्रस्तुतीकरण किया।
इसके अतिरिक्त, कमल जैन (आईआरएस, दिल्ली), कल्पन शाह (अहमदाबाद) और दिलीप धींग (चेन्नई) ने चार निक्षेप, ध्यान, ‘चत्तारि’ शब्द का वर्गीकरण और दशविध समाचारी जैसे विषयों पर विस्तृत जानकारी दी।
यह संगोष्ठी केवल एक अकादमिक मंच नहीं थी, बल्कि आत्मशुद्धि, ज्ञान और साधना का भी एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुई। प्रतिभागियों को स्थानाङ्गसूत्र की गूढ़ शिक्षाओं को समझने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का मौका मिला।
इस आयोजन में केंद्रीय हिंदी संस्थान से प्रो. उमापति दीक्षित, एस.एस. जैन ट्रस्ट के मंत्री राजेश सकलेचा, सह सचिव अनिल जैन, अशोक जैन गुल्लू, मीडिया समन्वयक विवेक कुमार जैन, कोमल जैन सुराना और कई अन्य सदस्य उपस्थित थे।
