आगरा। श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट, आगरा के तत्वाधान में जैन स्थानक महावीर भवन में चल रहे चातुर्मास के दौरान, जैन संतों के प्रवचनों में प्रतिदिन देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इन प्रवचनों में धर्मलाभ के साथ-साथ श्रद्धालु जिनवाणी का श्रवण कर रहे हैं। इस धार्मिक सभा में सूरत, रुद्रपुर, दिल्ली, किशनगढ़ और कोंधला जैसे शहरों से श्रावक-श्राविकाओं ने विशेष रूप से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
त्याग और वैराग्य पर संतों के उद्बोधन:
आगम ज्ञान रत्नाकर, बहुश्रुत श्री जय मुनिजी ने अपने प्रवचन में बताया कि भगवान महावीर की करुणा सभी प्राणियों पर समान रूप से बरसती थी, यहाँ तक कि उन पर भी जो त्याग करना चाहते थे लेकिन परिस्थितियोंवश ऐसा नहीं कर पाते थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि स्वेच्छा से किया गया त्याग और वैराग्य ही मनुष्य को मोक्ष की ओर ले जाता है।
गुरु हनुमंत हृदय सम्राट श्री आदीश मुनि ने सुख पाने का एक कठिन सूत्र देते हुए कहा कि सुख प्राप्त करने के लिए संसार को ‘बाय-बाय’ कहने के लिए तैयार रहना होगा। उन्होंने श्रावकों को प्रतिदिन तीन मनोरथों पर चिंतन करने का सुझाव दिया:
* वह शुभ दिन कब आएगा जब वे आरम्भ और परिग्रह का त्याग करेंगे।
* कब गृहस्थ आश्रम छोड़कर संयम ग्रहण करेंगे।
* और अंतिम समय में संलेखना व संथारा (शांतिपूर्वक समाधि मरण) को प्राप्त करेंगे।
मुनिजी ने कहा कि इन भावनाओं से ही चारित्र मोहनीय कर्म ढीला होता है और हम मोक्ष के लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी अनासक्ति का अभ्यास करना और शारीरिक सुख को कम करना आध्यात्मिक आनंद की ओर ले जाता है।
श्री आदित्य मुनिजी ने गुरु आज्ञा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गुरु की आज्ञा का पालन करना हमारा सौभाग्य है। उन्होंने बताया कि गुरु पर श्रद्धा, विश्वास और उनके प्रति समर्पण भाव रखना, उनके अनुभवों से शिक्षा लेना और उनके दिशा-निर्देशों का पालन करना जीवन को सही राह पर रखता है।
श्रद्धांजलि सभा और नवकार मंत्र का जाप:
प्रवचन के दौरान, श्री सुदर्शन संघ के आराध्य गच्छाधिपति पूज्य गुरुदेव श्री सेठ प्रकाश चन्द जी महाराज को श्रद्धांजलि दी गई, जिनका 5 अगस्त को गोहाना में संथारा सहित देवलोक गमन हो गया था। उनके श्रीचरणों में नमन करते हुए एक घंटे तक नवकार मंत्र का जाप किया गया। उनकी पुण्य स्मृति में गुरुवार, 7 अगस्त को सुबह 8:30 बजे एक विशेष श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा।
जाप, त्याग और तपस्या का सिलसिला जारी:
धर्म सभा के अंत में जय मुनिजी ने आज के लिए “श्री पद्मप्रभु नाथाय नमः” की एक माला जाप करने और पालक, पपीता और पापड़ का त्याग करने की शपथ दिलाई। इसके साथ ही खाने-पीने में झूठा न छोड़ने का संकल्प भी दिलाया गया।
चातुर्मास के दौरान तपस्या का सिलसिला भी जारी है। बाल किशनजी का 28वाँ आयंबिल चल रहा है। वहीं, श्रीमती सुनीता, श्री विकास, श्रीमती वृद्धिका के दस, श्रीमती सरिता के सात, श्रीमती अनुमेहा के छह और कु. वृति के चार उपवास जारी हैं।