आगरा: श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट, आगरा के तत्वावधान में जैन स्थानक महावीर भवन, न्यू राजा की मंडी कॉलोनी में चातुर्मासिक प्रवचनों का सिलसिला जारी है, जहाँ तीन पूज्य मुनियों द्वारा ज्ञान की गंगा प्रवाहित हो रही है।
भगवान महावीर की करुणा और वैराग्य का संदेश:
आगम ज्ञान रत्नाकर, बहुश्रुत श्री जय मुनिजी ने भगवान महावीर की करुणा के 22 वें पड़ाव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनकी करुणा राजाओं पर भी थी। उन्होंने ऐश्वर्य से परिपूर्ण राजाओं को भी अपनी प्रभावशाली वाणी से राज्य का मोह त्यागकर मोक्ष का मार्ग दिखाया। मुनिश्री ने कहा कि राज्य की आसक्ति के कारण जो चक्रवर्ती दीक्षा नहीं ले पाए, वे नरक में गए। यह आसक्ति जन्म-मरण के चक्र को बढ़ाती है। भगवान महावीर ने अपनी रचनात्मक वाणी से अनेक राजाओं का लोक-परलोक सुधारा।
संतोष और मानसिक संतुलन का महत्व:
गुरु हनुमंत हृदय सम्राट श्री आदीश मुनिजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रेरित करते हुए कहा कि गुरु चरणों की उपासना से प्रबल पुण्यवाणी बढ़ती है। उन्होंने सुख पाने का दसवाँ सूत्र बताते हुए कहा कि असीम सुख के लिए यथा लाभ संतोष का भाव रखना चाहिए। अपने पुरुषार्थ और पुण्यवाणी से जो कुछ भी मिला है, उसमें संतोष रखें और उसका आनंद लें। मुनिश्री ने यह भी कहा कि कोई भी निर्णय लेते समय मानसिक संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। अधिक धन और ज्ञान कभी-कभी अहंकार पैदा करते हैं, और थोड़ा नुकसान होने पर विचलित नहीं होना चाहिए, क्योंकि लाभ-हानि जीवन का अभिन्न अंग है।
निस्वार्थ विनय ही सच्ची विनय:
पूज्य श्री आदित्य मुनिजी ने अपने प्रवचन में विनय धर्म पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि निस्वार्थ विनय ही सच्ची विनय है और नवकार महामंत्र में भी नमन व विनय का भाव निहित है। मुनिश्री ने कहा कि जो झुककर चलता है, वही ऊपर उठता है और विनय का महत्व साधु व श्रावक दोनों के लिए समान है।
आज के जाप और त्याग की घोषणा:
धर्म सभा के अंत में पूज्य गुरुदेव जय मुनिजी ने श्रावकों को आज का जाप “श्री अभिनन्दन नाथाय नमः” की माला करने का निर्देश दिया और आज के त्याग के लिए इडली, इमरती, इमली की चटनी, इंस्टाग्राम का प्रयोग और खाने में जूठा न छोड़ने की शपथ दिलाई।
धर्म सभा में बह रही तपस्या की गंगा में बालकिशन जी का 26वाँ आयम्बिल, श्रीमती सरिता मुराना का 5वाँ उपवास और श्रीमती अनुमेहा बुरड़ का 4था उपवास गतिमान है। आज की धर्म सभा में रुद्रपुर, कान्दला, गन्नौर, बिलासपुर, दिल्ली, बंगलौर सहित कई अन्य स्थानों से आए अनेक धर्म प्रेमियों ने प्रवचन का लाभ उठाया।