बहस: तो क्या अभिषेक सिंह दोबारा IAS बन सकते हैं?

Cover Story

2011 बैच के IAS रहे अभिषेक सिंह ने अक्टूबर 2023 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और भाजपा की ओर से राजनीति में उतरने की तैयारी कर रहे थे मगर जौनपुर से उन्हें ट‍िकट नहीं म‍िला, तो अब बहस छ‍िड़ गई है क‍ि क्या कोई IAS, IPS अफसर इस्तीफा के बाद नौकरी में वापस आ सकता है.

पिछले हफ्ते ही उनका इस्तीफा मंजूर भी हो गया था. कयास लग रहे थे कि उन्हें भाजपा, उत्तर प्रदेश की जौनपुर लोकसभा सीट से टिकट दे सकती है. हालांकि पार्टी ने जौनपुर से कृपा शंकर सिंह को मैदान में उतार दिया. ऐसे में अभिषेक सिंह के राजनीतिक करियर को लेकर कयास लगने लगे. चर्चा चलने लगी कि क्या वह दोबारा IAS की नौकरी में वापस आ सकते हैं?

इस बारे में ऑल इंडिया सर्विस रूल्स और डीओपीटी के क्या नियम हैं- 

कहां है नौकरी और इस्तीफे का प्रावधान?

दो तरह के केंद्रीय कर्मचारी होते हैं. एक ऑल इंडिया सर्विस होती है. जैसे- IAS, IPS और IFS (फॉरेस्ट सर्विस). दूसरा- नॉन ऑल इंडिया सर्विस. इस कैटेगरी में ज्यादातर सबऑर्डिनेट सर्विसेज वाले कर्मचारी आते हैं. इन दोनों कैटेगरी के केंद्रीय कर्मचारियों की नौकरी, ट्रांसफर, प्रमोशन, इस्तीफा, पेंशन, वीआरएस या रिटायरमेंट बेनिफिट जैसी चीजें सेंट्रल सिविल सर्विसेज रूल्स से संचालित की जाती हैं.

यहां ध्यान रखने वाली बात यह है कि IAS, IPS और IFS जैसे ऑल इंडिया सर्विस के अधिकारियों के केस में ऑल इंडिया सर्विसेज (डेथ कम रिटायरमेंट बेनीफिट रूल्स), 1958 (All India Services (death-cum-retirement benefits) Rules 1958. लागू होता है.

ऑल इंडिया सर्विसेज के रूल 5(1) और 5(1)(A) में इस्तीफे का प्रावधान है. इसमें कहा गया है कि अगर कोई अधिकारी इस्तीफा देना चाहता है तो उसका रेजिग्नेशन स्पष्ट और बिना शर्त होना चाहिए. कोई अफसर फौरन या किसी निश्चित तिथि से इस्तीफे का आवेदन दे सकता है. आवेदन में इस्तीफा का कारण स्पष्ट लिखा होना चाहिए.

IAS-IPS किसे सौंपते हैं इस्तीफा?

IAS अधिकारी को अपने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को इस्तीफा भेजना होता है, जबकि IPS को राज्य के पुलिस प्रमुख को. उदाहरण के तौर पर अगर कोई IAS, उत्तर प्रदेश कैडर का है तो उसे अपने राज्य के चीफ सेक्रेटरी को इस्तीफा सौंपना होगा. इसी तरह IPS को राज्य के सर्वोच्च पुलिस अधिकारी या DGP को इस्तीफा भेजना होगा. यदि कोई आईएएस या आईपीएस प्रतिनियुक्ति (डेप्युटेशन) पर है तो उसे संबंधित विभाग के मुखिया को रेजिग्नेशन सौंपना होता है.

कौन लेता है इस्तीफे पर फैसला?

हालांकि इन दोनों अधिकारियों के पास यह शक्ति नहीं है कि वो सीधे इस्तीफा स्वीकार कर लें. उन्हें केंद्र सरकार से इसकी मंजूरी लेनी होती है. राज्य सरकार, संबंधित अधिकारी का इस्तीफा उसकी विजिलेंस स्टेटस और ड्यूज रिपोर्ट के साथ केंद्र सरकार को भेजती है. फिर, IAS के केस में DOPT मंजूरी देती है, जबकि IPS के केस में केंद्रीय गृह मंत्रालय. सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आदर्श तिवारी hindi.news18.com से कहते हैं कि यहां यह ध्यान रखना जरूरी है कि केंद्र सरकार, ऑल इंडिया सर्विस का जो भी इस्तीफा मंजूर करती है, वह राष्ट्रपति के नाम पर ही मंजूर करती है. नियुक्ति भी राष्ट्रपति के नाम पर होती है.

कितने दिन में वापस ले सकते हैं इस्तीफा?

IAS, IPS जैसे ऑल इंडिया सर्विसेज के अफसर 90 दिनों के अंदर अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं. इस्तीफा देने वाला अधिकारी, मंजूरी से पहले रेजिग्नेशन विथड्रा करने के लिए लिखित आवेदन देता है तो इस्तीफा स्वतः वापस ले लिया गया माना जाता है.

कौन वापस नहीं ले सकता है इस्तीफा?

ऑल इंडिया सर्विस रूल्स के मुताबिक यदि किसी अफसर ने किसी राजनीतिक दल या राजनीति में भाग लेने वाले किसी संगठन से जुड़ने के उद्देश्य से अपनी सेवा या पद से इस्तीफा दिया है, या किसी राजनीतिक आंदोलन में भाग लेने, किसी विधायिका या स्थानीय प्राधिकरण के चुनाव के शामिल होने के लिए पद छोड़ा है तो उसे इस्तीफा वापस लेने की मंजूरी नहीं मिलती है. हालांकि इस नियम पर सवाल उठते रहे हैं. कई अफसर, इस्तीफा देने के बाद इस नियम के विपरीत दोबारा सेवा में आए हैं.

उदाहरण के तौर पर जम्मू-कश्मीर के नौकरशाह शाह फैसल का केस ले लें. शाह फैसल ने इस्तीफा देने के बाद राजनीति ज्वाइन की और फिर वापस सर्विस में आ गए. क्योंकि उनका इस्तीफा तब तक न तो प्रॉसेस ही किया गया था और न ही उस पर कोई फैसला हुआ था. एक और हालिया उदाहरण बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे का है. उन्होंने भी इस्तीफा दिया. चुनाव लड़े, हारने के बाद फिर वापस सेवा में आ गए. क्योंकि उनका भी इस्तीफा न तो प्रॉसेस हुआ था और न ही मंजूर नहीं हुआ था.

तो क्या अभिषेक सिंह दोबारा IAS बन सकते हैं?

अभिषेक सिंह अब दोबारा IAS नहीं बन सकते और न सेवा में आ सकते हैं क्योंकि उनका इस्तीफा मंजूर हो चुका है. एडवोकेट आदर्श तिवारी कहते हैं कि अगर अभिषेक सिंह का इस्तीफा प्रॉसेस नहीं हुआ होता तो दोबारा सेवा में आने की गुंजाइश थी. अब ऐसा नहीं है.

इस्तीफे के बाद सुविधाएं मिलती हैं?

यदि ऑल इंडिया सर्विस का कोई अफसर स्वत: इस्तीफा देता है या उसे बर्खास्त किया जाता है, तो उसे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधा नहीं दी जाती हैं. हालांकि इस नियम के अपवाद भी हैं. मसलन- सरकार चाहे तो कुछ खास परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उसे कंपैसनेट अलाउंस दे सकती है. जो रिटायरल बेनिफिट्स की दो तिहाई से ज्यादा नहीं हो सकती है.

-एजेंसी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *