अशरफ गनी सरकार के जाने के बाद अफगानिस्तान से भारत को दूर रखने की कोशिश में लगे पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। तालिबान सरकार ने काबुल में क्षेत्रीय सहयोग को लेकर एक अहम बैठक की जिसमें भारत, पाकिस्तान समेत 10 देशों को बुलाया गया।
पाकिस्तान, तालिबान राज में भारत को हटाकर अफगानिस्तान में अपना दबदबा कायम करना चाहता था लेकिन अब दोनों देशों के बीच संबंध बहुत तनावपूर्ण हो गए हैं। तालिबानी लड़ाकुओं और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच डूरंड लाइन पर जहां कई बार हिंसक झड़प हो चुकी है वहीं तालिबान ने खुलकर ऐलान किया है कि वह पाकिस्तान से लगती सीमा रेखा को नहीं मानता। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसे में भारत को बुलाकर तालिबान ने पाकिस्तान की सरकार को बड़ा संदेश दिया है।
काबुल में आयोजित बैठक के दौरान भारत और पाकिस्तान के अलावा कजाखस्तान, तुर्की, रूस, चीन, ईरान, उज्बेकिस्तान, तुर्कीस्तान, इंडोनेशिया और किर्गिस्तान शामिल थे। तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने इस सम्मेलन को संबोधित किया। भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। भारत अब लगातार दबाव डाल रहा है कि काबुल में सभी पक्षों को शामिल करके सरकार का गठन किया जाए।
तालिबान ने भारतीय प्रतिनिधि के शामिल होने का जमकर प्रचार किया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता हाफिज जिया अहमद ने भारतीय प्रतिनिधि के शामिल होने पर कहा कि भारत अफगानिस्तान पर होने वाली पहलों में पूरी लगन से शामिल होता है।
भारत और तालिबान में बढ़ रही दोस्ती
हाफिज ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा और स्थिरता की हर पहल और प्रयास को अपना पूरा समर्थन देता है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में भारत की ओर से काबुल में स्थित दूतावास में तैनात अधिकारी ने हिस्सा लिया। भारत ने अभी अपने दूतावास को पूरी तरह से बहाल नहीं किया है। अभी केवल एक ‘तकनीकी टीम’ ही काबुल में मौजूद है। तालिबानी विदेश मंत्री ने कहा कि इन सभी देशों को क्षेत्रीय बातचीत को बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए और आगे भी अफगानिस्तान के साथ सकारात्मक संवाद जारी रखना चाहिए।
भारत की ओर से अभी इस बैठक को लेकर आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं आया है। भारत ने इस कार्यक्रम में ऐसे समय पर हिस्सा लिया है जब हाल ही में भारत की ओर से हाल ही यूएई में तालिबानी राजदूत को गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में बुलाया गया था।
भारत के आधिकारिक सूत्रों ने इस बारे में कहा है कि सभी मान्यताप्राप्त दूतावासों को यह न्योता दिया गया था। भारत ने जून 2022 में काबुल में अपने दूतावास को फिर से शुरू किया था। भारत और तालिबान के बीच जहां दोस्ती बढ़ रही है, वहीं पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान के रिश्ते रसातल में चले गए हैं। पाकिस्तान लाखों की तादाद में मौजूद अफगानों को निकाल रहा है जिसका तालिबान ने कड़ा विरोध किया है।
-एजेंसी