गांव से गौरव तक: सुधीर सक्सेना ने रायपुर में राष्ट्रीय किकबॉक्सिंग चैंपियनशिप में जीता ब्रॉन्ज़ मेडल

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रायपुर, छत्तीसगढ़ – 22 जुलाई, 2025: देश के खेल मानचित्र पर एक और चमकता नाम जुड़ गया है — सुधीर सक्सेना, जिन्होंने रायपुर में आयोजित सीनियर और मास्टर्स नेशनल किकबॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक (ब्रॉन्ज़ मेडल) जीतकर न केवल उत्तर प्रदेश के बलिया जिले का नाम रोशन किया, बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए प्रेरणा बन गए जो छोटे कस्बों से बड़े सपनों को जीते हैं।

यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता 16 से 20 जुलाई के बीच बलबीर सिंह जुनेजा स्टेडियम, रायपुर में आयोजित हुई, जहाँ देश भर से प्रतिभाशाली खिलाड़ी शामिल हुए।

संघर्षों से सजे सपनों की उड़ान

लहसनी गांव (बलिया, यूपी) से ताल्लुक रखने वाले सुधीर की यात्रा आसान नहीं रही। ना बड़े खेल मैदान, ना महंगे कोच — सिर्फ जूनून, लगन और अपनों का साथ। मिट्टी के मैदानों और खुद से बनाए गए प्रशिक्षण उपकरणों के साथ सुधीर ने जो शुरुआत की थी, वो आज राष्ट्रीय स्तर की पहचान बन चुकी है।

“हर पदक एक संदेश है — कि अगर मन में आग है तो कोई भी मंच दूर नहीं,” सुधीर ने भावुक होकर कहा।

सपनों के पीछे खड़ा मजबूत परिवार और सच्चे साथी

सुधीर ने अपनी सफलता का श्रेय केवल खुद को नहीं दिया। उन्होंने दिल से उन सभी लोगों का आभार व्यक्त किया जिनकी मदद और विश्वास ने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया:

  • योगिंदर सिंह (कोच): जिनकी ट्रेनिंग और मार्गदर्शन ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया।
  • विजय सिंह सिसोदिया सर: जो टूर्नामेंट के दौरान लगातार उनका मनोबल बढ़ाते रहे।
  • श्री विजय कुमार, एजीएम, पंजाब नेशनल बैंक (PNB): जिन्होंने उन्हें हर कदम पर समर्थन दिया।
  • PNB बैंक: जो खिलाड़ियों के प्रोत्साहन और समर्थन में हमेशा अग्रणी रहा है।

सुधीर ने अपने पिता श्री सुरेश सक्सेना को विशेष रूप से याद करते हुए कहा,

“पिताजी ने सिखाया कि हार मानना विकल्प नहीं होता।”

साथ ही उन्होंने अपनी पत्नी प्रियंका गौतम को “जीवन की सबसे बड़ी ताकत” बताते हुए उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।

सामाजिक सरोकारों से जुड़ा एक खिलाड़ी

खेल के साथ-साथ सुधीर सामाजिक कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाते हैं। वह गौरवी फाउंडेशन और कई अन्य एनजीओ के साथ मिलकर:

  • ग्रामीण युवाओं और महिलाओं के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण कराते हैं,
  • रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाते हैं,
  • और ग्रामीण क्षेत्रों में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं।

आगे की राह: अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी और सामाजिक निर्माण

राष्ट्रीय पदक जीतने के बाद अब सुधीर की नजर अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स पर है। साथ ही वह उत्तर प्रदेश और अन्य ग्रामीण इलाकों में खेल प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की योजना पर काम कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण युवाओं को अवसर और मार्गदर्शन मिल सके।

“हर गांव में एक सुधीर है — बस उसे मंच और मार्गदर्शन चाहिए,” उन्होंने कहा।

 निष्कर्ष: एक पदक, एक प्रेरणा

सुधीर सक्सेना की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, एक आंदोलन की कहानी है — जहाँ साहस, समर्पण और समर्थन के बल पर एक गांव का बेटा पूरे देश की प्रेरणा बन गया।

हम सब को तुम पर गर्व है, सुधीर। तुम्हारी जीत हम सभी की है।

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