कई राजनीतिक हस्तियां भी इन संत के भक्तों में हैं शामिल, लोग सद् मार्ग पर चलें तो सब ठीक रहेगा
एल एस बघेल, आगरा, 18 अक्टूबर। दौसा, राजस्थान में बाबा हरिनाथ सरपंच के परिवार में जन्मे ब्रजलाल अब श्री श्री 1008 श्री स्वामी ब्रजानंद जी महाराज बनकर उभरे हैं। वे फिलहाल कलखल मायापुरी योगाश्रम के मुख्य महंत हैं। इसके अलावा बाल श्याम आश्रम राधाकुंड परिक्रमा मार्ग के महंत हैं। इसके अलावा अहमदाबाद में जगन्नाथ मंदिर के पास राधाबाई बिरला मंदिर आश्रम साबरमती नदी के किनारे, के भी महंत हैं। ये स्वामी तीनों ही स्थानों पर बराबर भ्रमण करते रहते हैं। यूं तो इनके सैकड़ों भक्त हैं। जो समय-समय पर इनसे मिलते रहते हैं। वे खुद भी अपने भक्तों से मिलने के लिये आगरा समेत कई शहरों में आते-जाते रहते हैं। विख्यात संत ब्रजानंद जी महाराज के शिष्यों में कई राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं।
आगरा भ्रमण के दौरान ही स्वामीजी से मेरी मुलाकात हुई। देखने में वे सरल स्वभाव के तथा संतोषी लगते हैं लेकिन उनके चेहरे पर तेज है। 58 वर्षीय संत का कहना है कि दुनियां में कर्म प्रधान हैं। सद कर्म करिये, प्रभु सबका भला करेंगे। स्वामीजी बताते हैं कि उनकी मां के विवाह के दस साल तक कोई संतान नहीं हुई थी। तभी एक साधु महात्मा आये, उन्होंने आशीर्वाद दिया कि उनके तीन बेटे होंगे। लेकिन पहले बेटे को वे अपने साथ ले जाएंगे और वह संत बन जाएगा। ब्रजलाल तीन भाईयों में सबसे बड़े थे। जब वे 7-8 साल के थे, तभी वही संत पधारे। ब्रजलाल नामक बालक को अपने साथ लेकर चले गये। गुरुकुल,वृंदावन , हरिद्वार और बद्रीनाथ में पढ़ाई करायी। इसके पश्चात वे केदारनाथ में 108 नंबर की गुफा में रहने लगे। वहां लंबे समय तक तप किया। वैसे बाबा जाहरवीर उनके ईस्ट हैं। उनका वे अभी भी ध्यान करते हैं। हरिद्वार में महामंडलेश्वर राजेंद्र गिरि का उनको आशीर्वाद प्राप्त हैं। जिनकी बदौलत कलखल मायापुरी योगाश्रम हरिद्वार को वे मुख्य महंत बने हैं। उनका मानना है कि 2027 तक उनके भी महामंडलेश्वर बनने की उम्मीद है। स्वामीजी का कहना है कि उन्होंने बहुत लंबे समय तक तप किया है। जिसका परिणाम है कि उनके शिष्य भी सैकड़ों बन गये हैं। जिनमें की राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं। आगरा में भी उनके कई भक्त हैं। स्वामीजी का कहना है कि वे जब भी कोई बड़ा धार्मिक आयोजन करते हैं तो प्रभु की कृपा से वह आसानी से हो जाता है। उनके भक्तगण सारी सामग्री मुहैया करा देते हैं। जिन भक्त से वे जो भी वस्तु दान करने की इच्छा व्यक्त करते हैं, वह हाजिर हो जाती है। इसलिये बड़े से बड़े आयोजन वे करा लेते हैं। स्वामी ब्रजानंदजी महाराज का कहना है कि उनके आश्रम में कई साधु संत रहते हैं। उनकी खानपान , रहने, सहने की व्यवस्था आसानी से चलती रहती है। अपने भक्तों को वे जो भी आशीर्वाद देते हैं , वह पूरा हो जाता है।