मुंबई:( अनिल बेदाग) ध्यान की नींव गुरु की छवि है। पूजा की नींव गुरु के चरण हैं। गुरु के वाक्य मंत्र के सामान है, मोक्ष केवल गुरु कृपा से ही संभव है।
गुरु की मान्यता केवल वैदिक संस्कृति में पाई जाती है। अन्य किसी भी भाषा में गुरु का पर्यायवाची नहीं है। अध्यापक या स्वामी के पर्याय तो मिल जाते हैं परन्तु गुरु इन दोनों से ऊपर हैं।
गुरु आपके और दैविक शक्तियों के बीच के सेतु और दैविक शक्तियों से आदान प्रदान का एक मात्र माध्यम होते हैं। गुरु आपकी क्षमताओ को समझते हुए आपके लिए ऐसा साधना का मार्ग प्रशत् करते है जिसके आप अधिकारी हो।
गुरु माँ के सामान है और शिष्य शिशु के सामान। गुरु को पता होता है कि शिष्य को क्या एवं कितना चाहिए और गुरु वही शिष्य को प्रदान करते हैं। गुरु ज्ञान का भंडार एवं स्तोत्र होते है किन्तु शिष्य में गुरु उतना ही ज्ञान हस्तांतरित करते हैं जितना कि शिष्य धारण कर सके।
ज्ञान गरम पानी के समान होता है और शिष्य ठन्डे पत्थर के समान। यदि आप अत्यधिक गरम पानी को एक ठन्डे पत्थर पर डालें तो वह पत्थर टूट जायेगा। गुरु ज्ञान को आहिस्ते से शिष्य की क्षमता के अनुसार शिष्य को हस्तांतरित करते हैं।
गुरु का मिलना बहुत दुर्लभ है परन्तु गुरु की खोज में आप दूसरों की सुनी सुनाई बातों पे मत जाइए। योग पूर्ण रूप से अनुभव के विषय में है और ये पूर्तः आपका ही अनुभव और अंतरदृस्टि है जो आपको आपके गुरु तक ले जाती है। जब आपको गुरु संगत की प्राप्ति हो जाती है, तब आप अन्य किसी भी प्रवचन को सुनने या ज्ञानी के पास अपने प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए जाने की ज़रूरत नहीं महसूस करते हैं। जब आप अपने गुरु को पा लेते हैं, आपकी खोज समाप्त हो जाती है।
गुरु पूर्णिमा एक अत्यधिक शक्तिशाली दिन है, इस दिन गुरु कि उपस्थिति मात्र से ही आपको आंतरिक संसार के अभूतपूर्व अनुभव होते हैं एवं आपकी क्रमागतउन्नति पर अद्भुत प्रभाव पड़ता है।
गुरु पूर्णिमा की रात एक शिष्य के लिए विशेष महत्व रखती है। इस रात गुरु के सानिध्य में किए गए यज्ञ और मंत्र साधना से एक ही रात में कई वर्षों की साधना के बराबर फल प्राप्त होता है।
ध्यान फाउंडेशन ‘गुरु पूर्णिमा’ के पावन अवसर पर 24 घंटे का यज्ञ आयोजित कर रहा है। यह यज्ञ ध्यान आश्रम की यज्ञशाला में ‘गुरु जी’ के सानिध्य में संपन्न होगा।
अश्विनी गुरुजी, ध्यान फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत और मार्गदर्शक हैं। वे वैदिक विज्ञान के एक प्रतिष्ठित अधिकारी हैं। उनकी पुस्तक, ‘सनातन क्रिया, द एजलेस डाइमेंशन’ एंटी-एजिंग पर एक प्रशंसित थीसिस है। अधिक जानकारी के लिए www.dhyanfoundation.com पर जाएं।
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