लखनऊ। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को एक विस्तृत पत्र जारी कर कुछ मीडिया हाउसों पर महाकाव्यों की गलत व्याख्या करने, परिवारवाद को लेकर राजनीतिक एजेंडा चलाने और जनता की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक स्वार्थ में डूबे “दानाजीवी मीडिया हाउस” बार-बार परिवारवाद का मुद्दा उठाकर न केवल गुमराह कर रहे हैं, बल्कि भारतीय महाकाव्यों में निहित मूल भावों का भी अपमान कर रहे हैं।
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि सत्ता के दबाव में काम करने वाले कुछ मीडिया संस्थान परिवारवाद के नाम पर ऐसा माहौल बना रहे हैं जिससे परिवार और समाज की एकजुटता कमजोर होती है। उन्होंने कहा कि हमारे महाकाव्यों का आधार ही परिवार रहा है, और इन्हें विकृत रूप में पेश करना सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जो लोग परिवारवाद का विरोध करते हैं, वे अपने संगठन में उन नेताओं या कार्यकर्ताओं को क्यों नहीं निकालते जिनके परिवार के सदस्य राजनीति में रहे हैं। अखिलेश ने तीखा वार करते हुए कहा कि यदि परिवारवाद इतना ही गलत है तो भाजपा अपने उन नेताओं को पदों से हटाए जिनकी राजनीतिक गतिविधियों का आधार पारिवारिक पहचान है।
सपा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि परिवार को गलत ठहराने का उद्देश्य राजनीति को एकाधिकारवादी और भय का माध्यम बनाना है, ताकि लोग एकजुट न हो सकें। उन्होंने कहा कि परिवार समाज की पहली इकाई होता है और इसे कमजोर करना एक सोची-समझी रणनीति है।
उन्होंने मीडिया हाउसों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वे उपभोक्तावाद को बढ़ावा देने के लिए परिवारों को तोड़ना चाहते हैं ताकि हर व्यक्ति अलग-थलग पड़े और बाजारवाद को लाभ मिले। उन्होंने पूछा कि विज्ञापनों और प्रायोजित सामग्री से कमाए करोड़ों- अरबों में से ये मीडिया संस्थान अपने कर्मचारियों को कितना देते हैं।
अखिलेश ने यह भी कहा कि दिवंगत व्यक्तियों के सम्मान का सवाल किसी भी समाज की संस्कृति का प्रतीक होता है, लेकिन कुछ मीडिया संस्थान अपने निजी लाभ के लिए मर्यादाओं को भी तोड़ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि अब “पीडीए चुप नहीं बैठेगा, खुलकर बोलेगा।”
अंत में उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी हर परिवार के दुख-दर्द को समझती है और परिवारों से बने समाज में अमन-चैन और खुशहाली की पक्षधर है।
