कंगना रनौत के खिलाफ किसानों के अपमान व राष्ट्रद्रोह मामले में रिवीजन याचिका स्वीकार, 29 नवम्बर को पुनः सुनवाई

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आगरा: हिमाचल प्रदेश के मंडी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के खिलाफ दर्ज किसानों के अपमान और राष्ट्रद्रोह से जुड़े मामले में अब नया मोड़ आ गया है।

वादी अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा की रिवीजन याचिका को स्पेशल जज एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश लोकेश कुमार ने स्वीकार कर लिया है। अदालत ने अवर न्यायालय (स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए) के 6 मई 2025 के आदेश को खारिज करते हुए मामले की पुनः सुनवाई 29 नवम्बर 2025 को निर्धारित की है। इस आदेश से कंगना रनौत की कानूनी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

यह मामला कंगना रनौत द्वारा किसानों को लेकर कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से संबंधित है, जिसे लेकर अधिवक्ता रमाशंकर शर्मा ने थाना न्यू आगरा में राष्ट्रद्रोह सहित विभिन्न धाराओं में शिकायत दर्ज कराई थी। अदालत ने 9 जनवरी 2025 को न्यू आगरा पुलिस को धारा 225(1) के तहत वादी, गवाहों और विपक्षिया (कंगना रनौत) के बयान दर्ज कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।

पुलिस ने वादी रमाशंकर शर्मा और गवाहों राजेंद्र गुप्ता, धीरज व अजय कुमार सागर के बयान दर्ज कर साक्ष्य संकलित किए थे। वहीं, कंगना रनौत की ओर से अधिवक्ता अनसूया चौधरी ने पुलिस और अदालत को सूचित किया कि उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए समय चाहिए।

लेकिन अवर न्यायालय (स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए) के न्यायाधीश अनुज कुमार सिंह ने पुलिस की पूर्ण रिपोर्ट सम्मिलित किए बिना ही 6 मई 2025 को रमाशंकर शर्मा की याचिका को खारिज कर दिया था।

रिवीजन में राहत

इस आदेश के खिलाफ वादी ने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष रिवीजन दायर किया। लंबी सुनवाई और दोनों पक्षों की बहस के बाद स्पेशल जज लोकेश कुमार ने अवर न्यायालय के आदेश को “अपर्याप्त और त्रुटिपूर्ण” मानते हुए उसे रद्द कर दिया और मामले की पुनः सुनवाई का आदेश दिया।

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि अवर न्यायालय ने धारा 225(1) की अनदेखी करते हुए अपूर्ण आदेश पारित किया था।

अगली सुनवाई 29 नवम्बर को

अब यह मामला 29 नवम्बर 2025 को पुनः स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए (अनुज कुमार सिंह की अदालत) में सुना जाएगा, जहां सभी पक्षों के तर्कों के आधार पर अंतिम निर्णय की दिशा तय होगी।

बादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह, भैया राम दत्त, दिवाकर राजवीर सिंह, सुखबीर सिंह चौहान, बी.एस. फौजदार, राकेश नौहवार, सत्य प्रकाश एडवोकेट, अमीर अहमद, सुरेंद्र लख़न और प्रीति गुप्ता सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस की।

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