नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राहत, कोर्ट ने ईडी की चार्जशीट पर सुनवाई से किया इनकार

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नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि ईडी चाहे तो अपनी जांच जारी रख सकती है।

ईडी ने अपनी चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को आरोपी बनाया था। कांग्रेस की ओर से दलील दी गई कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है, जबकि ईडी का कहना है कि यह गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़ा मामला है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के सबूत मिले हैं।

ईडी का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने कथित साजिश के तहत एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्तियों पर कब्जा जमाने के लिए ‘यंग इंडियन’ नाम की निजी कंपनी के जरिए महज 50 लाख रुपये में उसका अधिग्रहण किया। यंग इंडियन कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बताई गई है।

ईडी के मुताबिक इस मामले में अपराध से अर्जित आय (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) 988 करोड़ रुपये आंकी गई है, जबकि संबंधित संपत्तियों का बाजार मूल्य करीब 5,000 करोड़ रुपये बताया गया है।

जांच के दौरान 12 अप्रैल 2025 को कुर्क की गई संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई भी की गई थी। ईडी ने दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस, मुंबई के बांद्रा (पूर्व) और लखनऊ के विशेश्वर नाथ रोड स्थित एजेएल की इमारतों पर नोटिस चस्पा किए थे। इसके अलावा नवंबर 2023 में एजेएल के 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों और 90.2 करोड़ रुपये के शेयरों को भी कुर्क किया गया था।

गौरतलब है कि नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत वर्ष 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हजारों स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर की थी। इस अखबार का प्रकाशन एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा किया जाता था। वर्ष 2008 में अखबार का प्रकाशन बंद हो गया, जिसके बाद इसके अधिग्रहण और संपत्तियों को लेकर विवाद और कथित घोटाले सामने आए।

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