रामप्रकाश के जज्बे को सलामः सुदूर गांव से तराश रहे नेशनल और इंटरनेशनल फुटबालर

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बलिया से 65 किमी दूर सोनाडी गांव में 40 बालिकाओं को दे रहे फुटबाल की ट्रेनिंग
संसाधनों के अभाव में भी हौसले बुलंद हैं प्रशिक्षुओं के साथ कोच के
अपने खेत को ही बना लिया है फुटबाल का ग्राउंड

फुटबाल कोच रामप्रकाश यादव

 

एल एस बघेल, आगरा 28 सितंबर। रामप्रकाश के जज्बे को सलामः सुदूर गांव से तराश रहे नेशनल और इंटरनेशनल फुटबालर। बलिया से 65 किमी दूर गांव सोनाडीह,ब्लाक सीयर, बिल्थरा रोड में 40 बालिकाओं को दे रहे हैं फुटबाल की ट्रेनिंग। संसाधनों के अभाव में भी हौसले बुलंद हैं । सोनाडी गांव के ही रहने वाले रामप्रकाश यादव ने अपने खेत को ही बना लिया है फुटबाल का मैदान। मात्र छह साल की मेहनत में ही इन्होंने एक इंटरनेशनल फुटबालर के साथ ही लगभग डेढ़ दर्जन नेशनल फुटबालर भी तैयार कर दी हैं।

ताज सिटी के एकलव्य स्टेडियम में वे आजमगढ़ मंडल की जूनियर फुटबाल टीम लेकर आये हैं। इसी दौरान आज सुबह ही इनकी मुलाकात  इस संवाददाता से हुई। इस मुलाकात का श्रेय वैसे तो फुटबाल के प्रशिक्षक एस एस चौहान को जाता है।उन्होंने ही बताया था कि सुदूर गांव में कितने कम संसाधनों में फुटबालर तैयार किये जा रहे हैं। उनके साथ में कोच हरदीप सिंह हीरा , देवेंद्र गुप्ता उर्फ देवे भाई भी इस दौरान मौजूद रहे। आजमगढ़ की टीम ने कल ही मजबूत मानी जा रही मेजबान आगरा की टीम को सेमीफाइनल में पराजित किया था। आज वाराणसी के साथ उनका खिताबी मुकाबला था। जिसमें आजमगढ़ मंडल की जूनियर बालिका टीम प्रदेशीय फुटबाल चैंपियन बनी। उन्होंने टाईब्रेकर के बाद सडनडेथ में 4-3 से वाराणसी को पराजित किया। आजमगढ़ की फुटबाल टीम में ज्यादातर खिलाड़ी बिल्थरा रोड , बलिया के इस गांव की हैं।

इंटरनेशनल फुटबालर प्रिया राजभर

रामप्रकाश बताते हैं कि वह उच्च प्राथमिक विद्यालय सोनाडीह में अनुदेशक हैं। वर्ष 2019 से उन्होंने अपने खेत को ही फुटबाल का मैदान बना लिया और फुटबाल केसाथ ही कबड्डी की कोचिंग देना शुरू कर दिया। जिसमें 40 बालिकाओं को प्रतिदिन फुटबाल की कोचिंग शाम के समय देते हैं। सुबह बच्ची स्कूल जाती हैं। इसलिये कोचिंग का समय शाम को ही रखा गया है।बालिकाएं भी आसपास के दो-तीन गांव से आती हैं। कबड्डी के भी लगभग 20 खिलाड़ी ट्रेनिंग ले रहे हैं।

झोंपड़ी में रहने वाली सोनाडीह की प्रशिक्षु प्रिया जूनियर भारतीय फुटबाल टीम में 

सोनाडीह गांव से फुटबाल का ककहरा सीखने वाली प्रिया राजभर इन दिनों भारतीय जूनियर महिला फुटबाल टीम में है। सैफ खेलकर आयी है। अब वह आगामी एशियाई खेलों की तैयारी कर रही है। इनका कैंप हाल ही में बेंगलूर से गोवा में शिफ्ट हो गया है। प्रिया अपने गांव में बिल्कुल झोंपड़ी में रहती है। इस गांव की लगभग डेढ़ दर्जन बालिकाएं सब-जूनियर और जूनियर के साथ ही सीनियर नेशनल में खेल रही हैं। अथवा खेल चुकी हैं। इनमें से चार खिलाड़ी सलोनी शर्मा, सलोनी राजभर, मंजू, नेहा और सुधा जूनियर नेशनल में अभी खेल रही हैं। इनमें से आजमगढ़ की गोलकीपर सलोनी शर्मा ने सेमीफाइनल में आगरा के खिलाफ अच्छे खेल का प्रदर्शन किया था।

नरायनपुर में सब जूनियर नेशनल विजेता यूपी की टीम में थीं सोनाडीह की दो खिलाड़ी

राम प्रकाश यादव बताते हैं कि हाल ही में सबजूनियर नेशनल जीतने वाली यूपी की बालिका फुटबाल टीम में सोनाडीह गांव की दो खिलाड़ी नीति और सुनैना फर्स्ट इलेवन में रही थीं। यूपी की जीत में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।

ग्रामीणों की आपत्ति दरकिनार

कोच बताते हैं कि बच्चियों के टीशर्ट और नेकर पहनने पर ग्रामीणों द्वारा पहले तो आपत्ति की गयी थी। उसको भी हमने दरकिनार कर दिया। समझाया कि फुटबाल सलवार कुर्ता में नहीं खेली जा सकती।

संसाधनों का अभाव

गांव में संसाधनों का बहुत अभाव है। खिलाड़ियों के शौच आदि की भी कोई व्यवस्था नहीं है। हमारे परिवार के एक घर में खिलाड़ियों को शौचालय की व्यवस्था करायी गयी है। इतना धन नहीं है कि वहां शौचालय बनवाया जा सके। इसके अलावा बच्चियों को डायट की भी प्राब्लम है। उन्हें केवल 1500 कैलौरी तक मिल पाती है। जबकि एक फुटबालर के लिये 4500 से लेकर 6200 तक कैलोरी  होनी चाहिये।

हास्टल बनाने की योजना

रामप्रकाश बताते हैं कि संसाधनों का अभाव होने के बावजूद वे एक फुटबाल हास्टल बनाये जाने की योजना बना रहे हैं। कुछ आर्थिक मदद मिल जाएगी तो वह हास्टल बनवायेंगे। जिससे खिलाड़ी उसमें रहकर फुटबाल की ट्रेनिंग ले सकेंगे। सरकारी अस्पताल से खिलाड़ियों को उपचार दिला देते हैं।

खुद फुटबाल कभी नहीं खेले

रामप्रकाश यादव बताते हैं कि वे कभी फुटबाल नहीं खेले लेकिन अब बच्चों को सिखा रहे हैं। उनके सिखाये प्रशिक्षु राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंच रहे हैं। उनका कहना है कि करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान।

गरीब खिलाड़ियों को किट देते

गरीब खिलाड़ियों को किट भी अपनी तरफ से देते हैं। रामप्रकाश यादव का कहना है हम अपने साथियों की मदद से गरीब खिलाड़ियों की मदद भी करते हैं।

सरकार से मदद की दरकार

खिलाड़ियों के लिये सरकार से मदद की दरकार है। अगर सरकार कुछ आर्थिक मदद दे तो सुदूर गांव से अच्छे खिलाड़ी निकालेंगे। जिससे कि वे प्रदेश के साथ ही देश का नाम रोशन कर सकें। कुल मिलाकर रामप्रकाश यादव के अंदर एक जुनून है। जिसकी बदौलत वे छोटी सी नौकरी में से भी गरीब बालिकाओं की मदद कर उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल प्लेयर बना रहे हैं। उनका सपना है कि उनकी दो-तीन खिलाड़ी भारतीय फुटबाल टीम के लिये खेलें। भारत की फुटबाल को उच्च स्तर पर ले जाने का भी उनका सपना है।

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