नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को एक बार फिर कड़ी फटकार मिली। शीर्ष अदालत ने भारत-चीन सीमा विवाद पर राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी बातें नहीं कह सकते। यह टिप्पणी उस मामले में सुनवाई के दौरान आई जिसमें राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कथित रूप से कहा था कि चीन ने भारत की 2,000 किलोमीटर जमीन कब्जा ली है।
आपके पास विश्वसनीय स्रोत क्या हैं? – कोर्ट का सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक शब्दों में राहुल गांधी से पूछा, आपको कैसे पता कि चीन ने 2000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है? आपके पास विश्वसनीय स्रोत क्या हैं? सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता ने कहा कि जब सीमा पर संघर्ष की स्थिति हो, तो आप इस तरह के बयान कैसे दे सकते हैं? आप नेता विपक्ष हैं। क्या आप यह संसद में नहीं पूछ सकते थे?
कोर्ट ने कहा कि आप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता [आर्टिकल 19(1)(a)] का हवाला देकर कुछ भी नहीं कह सकते। आप नेता प्रतिपक्ष हैं, ऐसे बयानों से बचना चाहिए।
‘सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कह सकता’: कोर्ट की सीधी फटकार
सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, एक सच्चा भारतीय ऐसा नहीं कहेगा। अगर आप सच्चे भारतीय होते तो चीन द्वारा जमीन कब्जा करने का दावा सोशल मीडिया पर नहीं करते, बल्कि संसद में उठाते।
सुप्रीम कोर्ट ने दी आंशिक राहत, लेकिन चेताया
राहुल गांधी द्वारा दिए गए विवादित बयान पर अधीनस्थ अदालत में चल रही कार्यवाही को सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल स्थगित कर दिया है। चीन द्वारा भारत की जमीन कब्जाने संबंधी बयान को लेकर निचली अदालत में चल रही कार्यवाही में राहत पाने के लिए ही राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। कोर्ट ने राहत तो दी, लेकिन उनके बयानों को लेकर फटकार भी लगा दी। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को वीर सावरकर पर की गई टिप्पणी को लेकर सख्त चेतावनी दी थी और लखनऊ की एक अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाई थी। उस समय भी अदालत ने कहा था कि भविष्य में इस तरह के बयान दिए गए तो अदालत स्वतः संज्ञान लेगी।
राजनीतिक विमर्श बनाम संवेदनशीलता
इस मामले में अदालत ने यह रेखांकित किया है कि राजनीतिक विमर्श और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों पर ज़िम्मेदाराना भाषा और तथ्यों के साथ संवाद करना लोकतंत्र में बेहद जरूरी है। सोशल मीडिया पर विवादास्पद बयान देने के बजाय नेता प्रतिपक्ष को अपनी बात संसद में तथ्यों सहित रखना चाहिए थी।
विपक्ष के नेता हैं, संसद में अपनी बात कहें
सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को ऐसे बयान देने से बचने की नसीहत देते हुए कहा कि आप विपक्ष के नेता हैं, संसद में अपनी बात कहें, सोशल मीडिया पर नहीं। बता दें कि सेना पर टिप्पणी करने के इस मामले में समन के खिलाफ राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
शिकायतकर्ता ने क्या लगाया था आरोप?
बता दें कि शिकायतकर्ता उदय शंकर श्रीवास्तव ने एक अदालत में दायर अपनी याचिका में आरोप लगाया कि दिसंबर 2022 की यात्रा के दौरान, गांधी ने चीन के साथ सीमा गतिरोध के संदर्भ में भारतीय सेना के बारे में कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं।
-साभार सहित