महाकुंभ भगदड़ को लेकर बीबीसी की रिपोर्ट पर सियासी घमासान, अखिलेश यादव और कांग्रेस ने योगी सरकार को घेरा

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नई दिल्ली। प्रयागराज महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या हुई भगदड़ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक संगम नोज पर हुई भगदड़ में 37 लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद उनके परिजनों को 25-25 लाख का मुआवजा दिया गया है। हालांकि अब एक बीबीसी की नई रिपोर्ट में सरकार के आंकड़ों के उलट बड़ा दावा किया गया है। जिसके बाद प्रदेश मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी व देश की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस योगी सरकार पर बड़ा हमला बोला है।

बीबीसी हिन्दी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उस दिन कम से कम 82 लोगों की मौतें हुईं थीं। बीबीसी हिन्दी की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 26 परिवार ऐसे मिले जिन्होंने भगदड़ में अपनों को खोया, लेकिन उनके नाम मृतकों की सूची में शामिल नहीं किए गए।

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार महाकुंभ को अपनी एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर दिखाती रही है। ख़ुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने सदन में महाकुंभ में हुई भगदड़ के बारे में जानकारी देते हुए 37 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी।

नई रिपोर्ट के मुताबिक 50 से अधिक जिलों में कई गई पड़ताल में सौ से ज्यादा ऐसे परिवार मिले जिन्होंने भगदड़ में अपनों के मारे जाने की बात को स्वीकार किया है। इनमें से 82 परिवारों के इसके पुख्ता सबूत दे पाए हैं।

चार जगहों पर मची थी भगदड़

बीबीसी रिपोर्ट के मुताबिक मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में चार जगहों पर भगदड़ मची थी। जिसमें लोगों की मौत हुई. सीएम योगी के मुताबिक 37 में से 35 लोगों को सरकार द्वारा 25-25 लाख रुपये की राशि हस्तांतरित की जा चुकी है। जो डायरेक्ट ट्रांसफर या चेक के ज़रिए दी गई।

बीबीसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जांच के दौरान 26 परिवार ऐसे मिले, जिन्हें 5-5 लाख रुपये कैश में दिए गए है। उनके पास यूपी पुलिस द्वारा ये राशि देते हुए वीडियो और फोटो भी मौजूद है। इन कई परिवारों ने दावा किया उनसे जबरन ऐसे पेपरों पर साइन कराए गए जिन पर अचानक तबीयत बिगड़ने से मौत होने की बात कही गई थी। इसके अलावा पड़ताल में 19 और ऐसे परिवार भी मिले जिन्हें 5-5 लाख रुपये भी नहीं मिले।

बीबीसी की रिपोर्ट में तीन कैटेगरी में बांटे गए मृतकों के परिवार

बीबीसी की रिपोर्ट में महाकुंभ में मारे गए 82 मृतकों को तीन हिस्सों में बांटा गया है। इनमें से पहले पहली कैटेगरी में वो लोग हैं जिन्हें 25-25 लाख रुपये मिले, दूसरी कैटेगरी में 5-5 लाख रुपये कैश में मिलने वाले परिवार है जबकि तीसरी कैटेगरी में मृतकों के ऐसे परिवार है जिन्हें कोई आर्थिक सहायता नहीं मिली। जिन लोगों को 5-5 लाख रुपये दिए गए उनमें 18 उत्तर प्रदेश से है, 5 बिहार और 2 पश्चिम बंगाल और एक झारखंड का परिवार हैं। इन सभी को कैश में पैसे दिए गए। ये पैसे विधिक तरीके से दिए इसके संकेत नहीं है।

तीसरी कैटेगरी में 19 मृतकों के परिवार हैं जिन्हें सरकार से कोई सहायता नहीं मिली। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है मृतकों की संख्या इससे भी ज्यादा हो सकती है। जिन 82 लोगों की भगदड़ में मौत होने का दावा किया गया है उन सभी के भगदड़ में मौत होने के पुख्ता सबूत और चश्मदीद गवाह भी मौजूद हैं।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बीबीसी हिन्दी की रिपोर्ट आने के बाद मंगलवार को योगी सरकार पर बड़ा बोला है। एक्स पर लिखा कि तथ्य बनाम सत्य : 37 बनाम 82. सब देखें, सुनें, जानें-समझें और साझा करें। सत्य की केवल पड़ताल नहीं, उसका प्रसार भी उतना ही ज़रूरी होता है।

अखिलेश यादव ने भाजपा आत्म-मंथन करे और भाजपाई भी और साथ ही उनके समर्थक भी कि जो लोग किसी की मृत्यु के लिए झूठ बोल सकते हैं, वो झूठ के किस पाताल-पर्वत पर चढ़कर अपने को, अपने मिथ्या-साम्राज्य का मुखिया मान रहे हैं। झूठे आंकड़े देने वाले ऐसे भाजपाइयों पर विश्वास भी विश्वास नहीं करेगा। सवाल सिर्फ़ आंकड़े छिपाने का नहीं है, सदन के पटल पर असत्य बोलने का भी है और इस बड़ी बात का भी है।

अखिलेश यादव ने सवाल उठाते पूछा कि महाकुंभ मृत्यु-मुआवज़े में जो राशि नक़द दी गयी, वो कैश क्यों दी गयी? वो कैश आया कहां से? और जिनमें वो कैश वितरित नहीं हो पाया, वो कैश वापस गया किसके हाथ में? नकदी देने का निर्णय किस नियम के तहत हुआ? नकदी का वितरण किसके आदेश पर हुआ? नकदी के वितरण का लिखित आदेश कहाँ है? नकदी वितरण में क्या कोई अनियमितता हुई? ⁠ और साथ ही यह भी कि मृत्यु के कारण को बदलवाने का दबाव किसके कहने पर बनाया गया?

आगे अखिलेश यादव ने कहा कि ये रिपोर्ट अंत नहीं, महाकुंभ में हुई मृत्युओं और उनसे जुड़े पैसों के महासत्य की खोज का आरंभ है। सत्य जब उजागर होता है, तो झूठ की परत-दर-परत खुलती है, जो स्वांग के हर चोगे और मुखौटे को उतारती जाती है, परदे उठाती जाती है। झूठ का कोई भी सूचना-प्रबंधन ऐसे सत्य को बाहर आने से नहीं रोक सकता।

-साभार सहित

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