आगरा, 06 जून 2023। मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जनपद में सात जून (बुधवार) से ‘एक कदम सुपोषण की ओर’ अभियान शुरू होगा। छह जुलाई तक चलने वाले इस अभियान में गर्भवती, धात्री महिलाओं व सैम (गंभीर रूप से कुपोषित) बच्चों को आयरन व मल्टीविटामिन दवाएं दी जाएंगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी आदीश मिश्रा ने बताया कि अभियान के दौरान समस्त स्वास्थ्य इकाईयों की ओ.पी.डी /आई.पी.डी, मुख्यमंत्री जनआरोग्य मेला, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक ( केवल गर्भवती महिलाओं हेतु) एवं सी.आई. वी.एच.एस.एन.डी/ यू.एच.एस.एन.डी सत्र के माध्यम से जनजागरूकता एवं आवश्यक दवाओं का वितरण किया जाएगा।
प्रत्येक गर्भवती व धात्री महिला तक फोलिक एसिड, आयरन फॉलिक एसिड, कैल्शियम एवं एल्बेन्डाजॉल की उपलब्धता व सेवन एवं प्रत्येक सैम बच्चों तक अमोक्सीसीलीन, फॉलिक एसिड, आई.एफ.ए सीरप एल्बेन्डाजॉल विटामिन-ए एवं मल्टीविटामिन की उपलब्धता व सेवन शतप्रतिशत सुनिश्चित किया जाएगा। इस अभियान के माध्यम से सप्लाई चेन को सुदृढ़ करते हुये प्रत्येक लाभार्थी तक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने के साथ-साथ इनके सेवन हेतु जागरूकता भी प्रदान की जायेगी एवं लक्ष्य समूह के अनुसार पोषण सम्बन्धी जानकारी व परामर्श दी जायेगी।
डीपीओ ने बताया कि गर्भावस्था व प्रसवोपरान्त अवस्था में महिलाओं एवं पांच साल से कम उम्र के बच्चों को बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है। इस हेतु मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अर्न्तगत भोजन सम्बन्धी सलाह के साथ-साथ सूक्ष्म पोषक तत्व दी जाती हैं, जिससे महिलाओं एवं बच्चों का स्वास्थ्य उत्तम रहे एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से होने वाली बीमारियों से दोनों को बचाया जा सके।
डीपीओ ने बताया कि 2020-21 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस-5) के अनुसार एनएफएचएस-4 के सापेक्ष महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण संबंधित संकेतकों में कुछ सुधार देखने को मिला है, किन्तु अनेक प्रयासों के उपरान्त भी एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मात्र 22.3 प्रतिशत एवं 9.7 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं ने ही क्रमशः 100 दिनों एवं 180 दिनों तक आयरन की गोलियों का सेवन किया है। संभवतः इसी कारण से 45.9 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एनीमिया पाया गया है। वहीं 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दुबलापन के आंकड़ों में भी संतोषजनक सुधार देखने को नहीं मिला है,एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 5 वर्ष से कम उम्र के 17.3 प्रतिशत बच्चे दुबलेपन के शिकार हैं तथा 7.3 प्रतिशत बच्चे सैम से ग्रसित हैं अर्थात जिनका वजन लम्बाई / ऊँचाई के अनुपात में बहुत कम है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सैम एक गंभीर चिकित्सीय समस्या है जिससे ग्रसित बच्चों में मृत्यु की सम्भावना 09 गुना अधिक होती है।
दस्त रोग से बचाव के लिए आज से शुरू होगा सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा
गर्मी के मौसम में बच्चों को दस्त के रोग से बचाने के लिए बुधवार से सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े का शुभारंभ किया जाएगा। बाल्यवस्था में दस्त के दौरान ओआरएस व जिंक के उपयोग के प्रति जागरुकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू पखवाड़े का समापन 22 जून को होगा। सीएमओ ने कार्यक्रम के लिए अधीनस्थों को दिशा-निर्देश दिए हैं। प्रदेश में बाल्यावस्था में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में लगभग 5-7 प्रतिशत मृत्यु दस्त के कारण होती है। प्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 16 हजार बच्चे दस्त के कारण काल के गाल में समा जाते हैं। दस्त रोग का उपचार ओआरएस व जिंक की गोली से कर बाल मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है। दस्त रोग का प्रमुख कारण पेयजल, स्वच्छता व शौचालय का अभाव पांच वर्ष तक के बच्चों का कुपोषित होना है। सीएमओ डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि पखवाड़े के तहत बाल्यवस्था में दस्त के दौरान ओआरएस व जिंक के उपयोग के प्रति जागरुकता को बढ़ावा दिया जाएगा। पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दस्त के प्रबंधन व उपचार के लिए गतिविधियां को बढ़ावा देना, साथ ही उच्च प्राथमिकता व अतिसंवेदनशील क्षेत्र जैसे स्लम, शहरी झुग्गी व खानाबदोश क्षेत्रों में जागरुकता प्रदान करना है।
एसीएमओ आरसीएच डॉ. संजीव वर्मन ने बताया कि कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों को डायरिया होने की अधिक संभावना हो सकती है। बार-बार डायरिया के कारण बच्चे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। इसलिए डायरिया से बचाव के लिए कुपोषित बच्चों पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
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-पखवाड़े के दौरान ऐसे परिवार, जिनमें पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे हों।
-पांच वर्ष की उम्र के बच्चे दस्त रोग से ग्रसित हो, उन पर फोकस रहेगा।
-कम वजन वाले बच्चों को प्राथमिकता देना।
-सब सेंटर जहां पर एएनएम न हो या लंबी छुट्टी पर हों।
-अति संवेदनशील क्षेत्र अरबन स्लम, हार्ड टू रीच एरिया, खानाबदोश, निर्माण कार्य में लगे मजदूरों के परिवारों पर फोकस।
-छोटे गांव या कस्बे जहां सुविधाओं की कमी हो।
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बच्चों को दस्त आने पर यह बरतें सावधानी
-दस्त के दौरान बच्चों को तरल पदार्थ दिया जाना चाहिए।
-दस्त होने पर बच्चों को उम्र के अनुसार, 14 दिन तक जिंक की गोली अवश्य दी जाए।
-पीने के लिए स्वच्छ पेयजल का उपयोग किया जाए।
-उम्र के अनुसार शिशु/ बाल पोषण संबंधी परामर्श दिया जाए।
-डायरिया को फैलने से रोकने के लिए शौचालय का उपयोग करना।
-खाना बनाने से पहले व बच्चों का मल साफ करने के बाद साबुन से हाथ धोएं।