बस्ती: एक तरफ़ अतिक्रमण विरोधी अभियान की गूंज, दूसरी तरफ़ एक व्यापारी की दबंगई!

स्थानीय समाचार

बस्ती, (राहिल खान): उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में इन दिनों प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जगह-जगह अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जा रहा है। शहर के कई हिस्सों में मंदिरों, दुकानों, और फुटपाथों पर हो रहे अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाकर अधिकारी अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। हाल ही में शहर के एक प्रमुख स्थान, काली मंदिर को ध्वस्त कर यह दिखाने की कोशिश की गई कि कानून सभी के लिए बराबर है।

लेकिन इस अभियान की सच्चाई तब उजागर होती है जब एक दबंग व्यापारी इन सभी नियमों और कार्रवाइयों को खुलेआम ठेंगा दिखाता नजर आता है।

हम बात कर रहे हैं तुलसियान वस्त्रालय की। यह प्रतिष्ठान बस्ती के मध्य स्थित है और इसका मालिक खुलेआम रोड तक अतिक्रमण किए हुए है। दुकानदार ने न केवल सार्वजनिक रास्ता घेर रखा है, बल्कि उसने इतने प्रभावशाली संबंध बना रखे हैं कि उसके खिलाफ बोलने की किसी की हिम्मत नहीं होती – चाहे वह स्थानीय नेता हो या प्रशासनिक अधिकारी।

स्थिति यह है कि जहां आम नागरिकों की दुकानों पर बुलडोजर चल रहा है, वहीं इस व्यापारी के अवैध निर्माण को छूने तक की हिम्मत प्रशासन नहीं कर रहा। आम आदमी का विश्वास प्रशासन पर से उठता जा रहा है, क्योंकि यह स्पष्ट हो चुका है कि कार्रवाई केवल कमजोरों पर ही होती है।

और सबसे निराशाजनक भूमिका निभा रहे हैं कुछ स्थानीय पत्रकार। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन बस्ती में यह स्तंभ अब ‘लिफाफा संस्कृति’ की गिरफ्त में दिखाई देता है। जिन पत्रकारों को सच्चाई उजागर करनी चाहिए, वे या तो चुप हैं या फिर व्यापारी की मेहरबानियों के बदले कलम तोड़ चुके हैं। जिनका काम था जनता की आवाज़ बनना, वे अब “मौन समर्थक” बन चुके हैं।

स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भारी रोष है कि मंदिर जैसी आस्था की जगह को एक झटके में नेस्तनाबूद कर दिया गया, लेकिन एक रसूखदार व्यापारी का बाल भी बांका नहीं हुआ।

प्रशासन को चाहिए कि कानून का पालन सभी के लिए एक समान हो। अन्यथा, यह अभियान सिर्फ दिखावा बन कर रह जाएगा और आम जनता का विश्वास सरकारी तंत्र से पूरी तरह उठ जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *