इलेक्टोरल बांड पर एसबीआई के तर्क पर कांग्रेस ने कहा, किस महालूट के सौदागर को बचाने की हो रही है कोशिश..

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कांग्रेस नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने एसबीआई से जुड़े तमाम डेटा को शेयर कर कहा कि देश का सबसे बड़ा बैंक अगर इलेक्टोरल बांड से आए पैसों का हिसाब जोड़ने में 3 महीने का समय मांगता है तो यह बहुत अप्रत्याशित और चौंकाने वाला

कांग्रेस ने कहा,पीएम मोदी न तो पीएम केयर फंड में आए हजारों करोड़ रुपए का देश की जनता को हिसाब देते हैं और अब न ही एसबीआई को देने दे रहे हैं

भारतीय स्टेट बैंक ने राजनीतिक दलों के इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी का खुलासा करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी है. सुप्रीम कोर्ट ने SBI को 6 मार्च तक चुनाव आयोग को जानकारी देने का निर्देश दिया था. SBI ने कोर्ट में आवेदन दायर करके कहा कि उन्हें डिटेल निकालने के लिए समय चाहिए. अब इसे लेकर कांग्रेस ने SBI के जरिए BJP पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ब्योरे को छिपाने के लिए बैंक को ढाल के तौर पर इस्तेमाल कर रही है.

कांग्रेस ने BJP पर लोकसभा चुनाव के बाद तक असंवैधानिक इलेक्टोरल बॉन्ड पर डेटा को सीक्रेट रखने की कोशिश का भी आरोप लगाया है. कांग्रेस के ऑफिशियल X हैंडल से पोस्ट किया गया, “इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 मार्च तक का वक्त दिया, लेकिन SBI ने 30 जून तक का वक्त मांगा है. 30 जून का मतलब- लोकसभा चुनाव के बाद जानकारी दी जाएगी. आखिर SBI ये जानकारी लोकसभा चुनाव से पहले क्यों नहीं दे रहा? महालूट के सौदागर को बचाने में SBI क्यों लगा है?”

बीजेपी ने 2018-2022 तक इलेक्टोरल बॉन्ड से ₹5,270 करोड़ कमाए, दूसरों को मिल गया…

कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने पूछा, “अप्रत्याशित रूप से नहीं, बल्कि बेहद चौंकाने वाले और बेशर्म तरीके से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और 30 जून तक का समय मांगा है. SBI न सिर्फ भारत का सबसे बड़ा ऋणदाता है, बल्कि यह पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड बैंक है. यह 48 करोड़ बैंक अकाउंट ऑपरेट करती है.  66,000 ATM, पूरे देश और भारत से बाहर इसकी लगभग 23,000 ब्रांच हैं. SBI को सिर्फ 22,217 इलेक्टोरल बॉन्ड पर डेटा देने के लिए 5 महीने की जरूरत है. एक क्लिक में डेटा निकाल सकता है. BJP इन नामों के सामने आने से इतनी डरी हुई क्यों है?

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि 2017 और 2023 के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए से पार्टियों द्वारा करीब 12,000 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गए. उसमें से दो-तिहाई या लगभग 6,500 करोड़ रुपये अकेले बीजेपी को मिले. कांग्रेस को सिर्फ 9% मिला.

कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया, “क्या इस लोकतंत्र में लोगों को यह जानने का अधिकार नहीं है कि कौन किस पार्टी को कितना और किस समय चंदा दे रहा है? SBI 20-25 दिनों के बाद जागा और उसे एहसास हुआ कि उसे अतिरिक्त समय की जरूरत है. SBI और भारत सरकार द्वारा डोनर्स के नाम छिपाने की साफ कोशिश की जा रही है.”

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में इलेक्टोरेल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया था. अदालत ने कहा, “इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम से लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन होता है. इसमें देने के बदले कुछ लेने की गलत प्रक्रिया पनप सकती है.” कांग्रेस ने कहा कि ना मोदी जी पीएम केयर फंड में आए हजारों करोड़ का हिसाब देते हैं,न इलेक्टोरल बांड का एसबीआई को देने देते हैं,और फिर कहते हैं कि मैं पारदर्शी शासन में यकीन करता हूँ।

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