प्रेमानंद महाराज की शरण में पहुंचे एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष, सबकी तरफ से मांगी माफी

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मथुरा: संत प्रेमानंद महाराज को कौन नहीं जानता? देश से लेकर विदेश तक के लोग वृंदावन के फेमस संत प्रेमानंद महाराज की तारीफ करते नहीं थकते हैं। उनकी वृंदावन में निकलने वाली पदयात्रा काफी प्रसिद्ध है। इस दौरान हजारों श्रद्धालु उनके दर्शन करने आते हैं। हाल ही में मथुरा के वृंदावन से इस पदयात्रा के खबर सामने आई थी। जिसके बाद संत प्रेमानंद ने रात्रि पदयात्रा को बंद कर दिया। इस खबर के बाद पूरे देश में मौजूद उनके भक्त उदास हो गए थे। यहां तक कि भक्तों ने महाराज की पदयात्रा का विरोध करने वाले एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के लोगों के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया था। अब एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष प्रेमानंद महाराज की शरण में रविवार को पहुंच कर उनसे माफी मांगी है।

संत प्रेमानंद महाराज ने बदल लिया रास्ता

इसके बाद संत ने भीड़ अधिक होने और अपने स्वास्थ्य का हवाला देकर संत ने पदयात्रा स्थगित कर दी है। फिर पदयात्रा के समय में बदलाव कर दिया। रात दो बजे से सुबह चार बजे कर दिया और एनआरआई ग्रीन के सामने से न गुजरकर उनका काफिला प्रेम मंदिर के सामने से होकर रमणरेती पुलिस चौकी मोड़ से श्रीराधा केलि कुंज पहुंने लगा।

भक्तों ने खोल दिया था मोर्चा

संत प्रेमानंद महाराज के विरोध होने के बाद उनके भक्तों को बहुत दुख पहुंचा था। वृंदावन में कई दुकनदारों ने अपने दुकान पर बोर्ड लगाया, जिसमें साफ-साफ लिखा है, NRI ग्रीन वालों को यहां सामान नहीं मिलता है। वहीं दुकनदारों ने कहा कि एनआरआई कॉलोनी वालों ने जो किया वो गलत था, अगर उन्हें महाराज जी की यात्रा से दिक्क्त थी या उसमें बज रहे ढोल-नगाड़ों से समस्या हो रही थी तो एक बार पहले जाकर वह महाराज जी से बात करते, न की इस तरह से विरोध।

अब पहुंचे NRI ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष

प्रेमानंद महाराज के सामने जैसे ही एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के अध्यक्ष पहुंचे, वैसे ही बड़े प्यार से संत ने कहा कि देखो हमारा तो कोई विरोधी नहीं है। हमारा काम सबको सुख पहुंचाना है। जैसे ही हमने सुना कि किसी को दुख पहुंचा, तो हमने रास्ता बदल लिया। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि महाराज जी मैं आपको 12-14 साल से जानता हूं। मदनमोहन मंदिर के सामने मेरी कार पार्किंग है। 10 साल पहले जब आप हर दिन परिक्रमा देते थे, तो मैं हर दिन आपके दर्शन करता था। भीड़ को देखते हुए अब मेरा थोड़ा कम आना जाना हो गया है। मगर 10 साल पहले हर दिन आपके मुझे दर्शन होते थे।

उन्होंने आगे कहा कि अब कुछ लोग जो यूट्यूब चलाते हैं ये फेमस होने के लिए बृजबासी बनते हैं। बृजवासियों और आपके बीच ये लोग एक फीसदी भी नहीं आ सकते हैं। इन यूट्यूबरों से कह दो कि ये लोग बृजवासी हैं, तो आपको पता है कि कैसे ये लोग बोलते हैं और समझते हैं। इस पर प्रेमानंद महाराज बोले, हां, बृजवासी तो हमारे आराध्य देव हैं। सब भोले भाले समझते हैं।

हम सबका स्वागत करते हैं, हम वैर-विरोध किसी का नहीं कर सकते

सोसाइटी के अध्यक्ष ने आगे कहा कि महाराज जी सोसाइटी के लोग आपसे माफी मांगना चाहते हैं। उन्हें अपनी गलती का अहसास है। मगर, वो लोग हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि वो आपके सामने आए। संत ने कहा कि अरे नहीं, बिल्कुल आएं। हमारी प्रार्थना है उन लोगों से भी कह दीजिए, हम आपका कभी अहित नहीं कर सकते। हम सबको सुख देने आए है। हमने इस विषय में एक शब्द भी नहीं कहा। हम सबका स्वागत करते हैं। हम वैर-विरोध किसी का नहीं कर सकते।

अध्यक्ष ने आगे कहा कि मुझे पहले हर दिन आपके वहां दर्शन होते थे। मैं आपके पैर छूता तो आप मना कर देते थे कि नहीं, आप ब्रजवासी हो भाई हो। इस पर महाराज जी ने कहा कि आप आनंदित रहो ना आप और उन ब्रजवासियों से भी जिन्होंने बोला है ना, हम उनको प्रणाम करते हैं। सोसाइटी की तरफ से आए अध्यक्ष ने कहा कि पटाखे चलाने वालों ने उस दिन जो सोसाइटी का चबूतरा है ना। वहां रखकर 5-10 पटाखे जला दिए। फिर तो शोर होगा ही। इससे लोग परेशान हो गए। इस पर संत ने कहा कि हम नहीं जाएंगे कि किसी को भी कोई समस्या हो।

एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के प्रमुख ने कहा कि ब्रजवासी होने के नाते आप हमारी धरोहर है। मैं अभी काशी गया था तो वहां ऐसी बात चल रही थी। बोले कहां से आए हो? मैंने कहा- वृंदावन। तो वो तुरंत बोले महाराज जी वहां रहते हैं। मुझे यह सुनकर खुद बहुत गर्व महसूस हुआ। मैं भाग्यशाली हूं। आपकी यात्रा दोबारा निकलनी चाहिए।

अगर किसी को कोई परेशानी हो तो हम तो घर के हैं, सीधा यहीं चले आओ

प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अगर किसी को कोई परेशानी हो तो हम तो घर के हैं। सीधा यहीं चले आओ। इस पर अध्यक्ष ने कहा कि मैं हर चैनल पर कह रहा हूं की बाबा हमारो मैं बाबा को हूं। ये यूट्यूबर लोगों ने हमारी बात को अलग तरीके से रख दिया। उनको फेमंस होना होगा। इसलिए उन्हें भ्रम फैला दिया। उन्होंने हमें मौका तक नहीं दिया कि हम अपनी बात यहां रख पाते। मगर, महाराज जी आप फिर से अपनी यात्रा निकालिए। मैं वहां खुद रहकर सभी संतों की सेवा करूंगा। संत में अंत में कहा कि सारी कॉलोनी के लोगों से कह दो कि हम सबको प्यार करते हैं। हमारा किसी से कोई विरोध नहीं है।

साभार सहित

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