ज्ञानवापी में पूजा-अर्चना पर हाई कोर्ट से मुस्लिम पक्ष को नहीं मिली अंतरिम राहत

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ज्ञानवापी मामले में बुधवार को मुस्लिम पक्ष को अंतरिम राहत नहीं मिली है। ज्ञानवापी परिसर के व्यास जी तहखाने में पूजा-अर्चना शुरू किए जाने के आदेश के खिलाफ दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में बुधवार की सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने व्यास जी तहखाने में पूजा-अर्चना के फैसले पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई है। हाई कोर्ट से रोक नहीं लगने से व्यास जी तहखाने में पूजा-अर्चना जारी रहेगी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में मामले की सुनवाई हुई।

यूपी सरकार द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए कम से कम दो दिनों की मोहलत मांगे जाने की वजह से बुधवार को मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है। कोर्ट अब इस मामले में 12 फरवरी को फिर से सुनवाई करेगा। 12 फरवरी को सुबह 10 बजे से फ्रेश केस के तौर पर सुनवाई होगी। कोर्ट में बुधवार को करीब ढाई घंटे तक सुनवाई चली।
बुधवार की सुनवाई में करीब डेढ़ घंटे तक हिंदू पक्ष और एक घंटे तक मुस्लिम पक्ष ने दलीलें पेश की। हिंदू पक्ष की तरफ से दलील दी गई कि तहखाने में पहले से ही पूजा होती रही है, इसके तमाम डाक्यूमेंट्स हैं। जिला जज ने CPC की धारा 152 के तहत मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए 31 जनवरी का आदेश पारित किया। कहा कि आदेश में कुछ भी गलत नहीं है।

मुस्लिम पक्ष ने दलील दी कि तहखाना स्टोर रूम था। वहां कभी पूजा नहीं होती थी। जिला जज ने मनमाने तरीके से मुकदमे को अपने पास ट्रांसफर किया और फिर आर्डर पास कर दिया। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा कि जिला जज ने बिना किसी आवेदन के अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए आर्डर पास किया। यह गलत है।

इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए एडवोकेट जनरल ने कम से कम 48 घंटे की मोहलत दिए जाने की मांग की। हिंदू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वकील हरि शंकर जैन और विष्णु जैन ने बहस की। मस्जिद कमेटी की तरफ से सीनियर एडवोकेट फरमान नकवी ने दलीलें पेश की।

-एजेंसी

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