नगर निगम आवारा कुत्तों की करेगा डिजिटल निगरानी, पहले चरण में 250 कुत्ते होंगे चिन्हित, जल्द शुरू होगा पायलेट प्रोजेक्ट

Press Release उत्तर प्रदेश

 हर आवारा कुत्ते की बनेगी अलग पहचान, माइक्रोचिप से नसबंदी और टीकाकरण की भी होगी निगरानी

आगरा। शहर में आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने और उनकी गतिविधियों पर प्रभावी निगरानी के उद्देश्य से नगर निगम ने एक अभिनव और तकनीकी पहल की शुरुआत की है। नगर निगम द्वारा आवारा कुत्तों को माइक्रोचिप लगाए जाने की योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जा रहा है।इस योजना के अंतर्गत पहले चरण में 250 आवारा कुत्तों को माइक्रोचिप लगाई जाएगी। इसके लिए नगर निगम ने एक निजी संस्था के साथ अनुबंध किया है। पायलट प्रोजेक्ट के सकारात्मक परिणाम आने पर इस व्यवस्था को पूरे शहर में विस्तार दिया जाएगा।

पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि माइक्रोचिप एक बेहद छोटी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होती है, जिसे कुत्ते की त्वचा के नीचे सुरक्षित और दर्द रहित तरीके से लगाया जाता है। इस चिप में एक यूनिक आईडी नंबर होता है, जिसे स्कैन करने पर कुत्ते से जुड़ी पूरी जानकारी उपलब्ध हो जाती है।
डॉ. सिंह के अनुसार, माइक्रोचिप के माध्यम से यह स्पष्ट हो सकेगा कि संबंधित कुत्ते की नसबंदी हो चुकी है या नहीं उसे रेबीज का टीका लगाया गया है या नहीं और वह किस क्षेत्र का है। इससे एक ही कुत्ते को बार-बार पकड़ने, दोबारा नसबंदी कराने या अनावश्यक रूप से शेल्टर भेजने जैसी समस्याओं से निजात मिलेगी।
उन्होंने बताया कि यह तकनीक आवारा कुत्तों की सटीक गिनती, उनके क्षेत्रवार मूवमेंट और काटने की घटनाओं से जुड़ी शिकायतों के त्वरित निस्तारण में भी मददगार साबित होगी। साथ ही यह योजना पशु कल्याण और जन सुरक्षा दोनों के दृष्टिकोण से बेहद अहम है। माइक्रोचिपिंग से नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रम में पारदर्शिता आएगी और भविष्य में शहर में स्ट्रे डॉग मैनेजमेंट सिस्टम को अधिक वैज्ञानिक तरीके से लागू किया जा सकेगा।

—नगर आयुक्त का वर्जन

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल का इस संबध में कहना है कि आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए नगर निगम तकनीक आधारित समाधान अपनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है। माइक्रोचिपिंग से कुत्तों की पहचान, नसबंदी और टीकाकरण की निगरानी आसान होगी। पायलट प्रोजेक्ट सफल रहने पर इसे पूरे शहर में लागू किया जाएगा, ताकि नागरिकों की सुरक्षा के साथ पशुओं के कल्याण को भी सुनिश्चित किया जा सके।

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