आगरा नगर निगम में फर्जी हस्ताक्षर से लाखों-करोड़ों का PF घोटाला, नगर आयुक्त ने दर्ज कराई FIR, जांच समिति गठित

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आगरा: नगर निगम में भविष्य निधि खाते से धनराशि निकाले जाने में वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है।

नगर निगम परिसर स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा में जमा कर्मचारियों के भविष्य निधि खातों से विभागीय प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए सीधे धन आहरित किए जाने का मामला सामने आया है। प्रारंभिक जांच में नगर निगम के कुछ कर्मचारियों और बैंक कर्मियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल के निर्देश पर इस मामले में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर नगर निगम की महिला अनुचर अर्चना को निलंबित कर दिया गया है। मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी गई है। इस कमेटी में मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी बृजेश कुमार सिंह, अपर नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार तिवारी और मुख्य नगर लेखा परीक्षक निर्विकार गोयल को रखा गया है।

खबरों के अनुसार, नगर निगम में कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटर विशाल शर्मा किसी कार्य से बैंक पहुंचा था, जहां उसने भविष्य निधि खातों से धन निकासी की एक सूची देखी। यह देखकर वह हैरान रह गया क्योंकि सामान्यतः ऐसी सूची उसी के माध्यम से संबंधित अधिकारियों तक जाती है। शक होने पर उसने मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी। इसके बाद मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी बृजेश कुमार सिंह ने बैंक अधिकारियों से बातचीत कर इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई और संबंधित बैंक पटल बाबू की भूमिका को संदिग्ध मानते हुए जांच की संस्तुति की।

मामले की तह में जाने पर चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि अप्रैल 2005 से पहले नियुक्त करीब 750 कर्मचारियों की भविष्य निधि कटौती की धनराशि को बिना विभागीय प्रक्रिया अपनाए निकाला जा रहा था।

अपर नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार तिवारी और मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी बृजेश कुमार सिंह के हस्ताक्षर के उपरांत ही कर्मचारी को पी एफ खाते से धन आहरित करने की अनुमति दी जाती है लेकिन उनके फर्जी हस्ताक्षर कर पी एफ की राशि निकाली जा रही थी। इस रैकेट में शामिल लोग कर्मचारियों से सुविधा शुल्क लेकर उन्हें बिना वैध प्रक्रिया अपनाए भविष्य निधि खाते से धनराशि दिलवा रहे थे।

नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने मीडिया से कहा कि भविष्य निधि खाते से अनियमित आहरण का मामला प्रकाश में आया है हालांकि कर्मचारी ने खाते से अपना ही धन आहरित किया है। घोटाले जैसा कोई मामला नहीं है लेकिन ये वित्तीय अनियमितता अत्यंत गंभीर है। प्रथम दृष्टया स्पष्ट होता है कि प्रक्रिया का पालन किए बिना धन निकाला गया है। जांच के आदेश दिए हैं। दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। बैंक प्रबंधन को भी पत्र भेजा जा चुका है।




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