जैन संतों के चातुर्मासिक प्रवचन में करुणा, समर्पण और आत्मिक अनुशासन का संदेश

Religion/ Spirituality/ Culture

आगरा: श्री श्वेताम्बर स्थानक वासी जैन ट्रस्ट, आगरा के तत्वाधान में महावीर भवन जैन स्थानक में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचनों में धर्म-गंगा प्रवाहित हो रही है ।आगम ज्ञानरत्नाकर बहुश्रुत श्री जयमुनि जी ने ‘महावीर की करुणा यात्रा’ विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान महावीर ने पारिवारिक रिश्तों में विशेष रूप से बहन के प्रति करुणा भाव रखा। उन्होंने बहन को संसार का सबसे विश्वसनीय रिश्ता बताया, जो भारतीय संस्कृति की जड़ में गहराई तक जुड़ा है।

परिवार और वृद्धों के सम्मान पर बल

हृदय सम्राट पूज्य श्री आदीश मुनिजी ने ‘सुख पाने के सूत्र’ श्रृंखला में आज का सूत्र “कभी-कभी बड़ों के पास बैठना सीखें” प्रस्तुत करते हुए बताया कि आधुनिक युग में पीढ़ियों का अंतर बुजुर्गों को अवसाद व अकेलेपन की ओर ले जा रहा है। उन्होंने महावीर, श्रीकृष्ण और राम जैसे महापुरुषों की माता-पिता के प्रति करुणा और सम्मान को स्मरण कर घर के बुज़ुर्गों को छायादार वृक्ष की संज्ञा दी।

आत्मिक संतुलन की प्रेरणा

श्री विजय मुनि जी महाराज ने अपने प्रवचन में आत्मा की विजय को पांच इंद्रियों और चार कषायों पर नियंत्रण का माध्यम बताया। उन्होंने समीक्षण को जीवन सुधार की औषधि बताते हुए भौतिक आसक्तियों से दूर होकर एकांत में आत्म-चिंतन करने की प्रेरणा दी।

जप और तप का अनुष्ठान

प्रवचनों के अंत में गुरुदेव ने “साहू गोयम पन्नते” का जाप कराया और आज के त्याग स्वरूप फलियाँ, फलूदा आइसक्रीम, पूरी एवं खान-पान में झूठा न छोड़ने की शपथ दिलाई। तपस्या की कड़ी में श्री बालकिशन जी का 22वाँ आयम्बिल, श्रीमती दिव्या जैन का नौवाँ तथा श्रीमती उमारानी जैन का छठा उपवास जारी है।

देशभर से श्रद्धालुओं की सहभागिता

धर्म सभा में दिल्ली, अलवर, पुरी, सोहाना व नूंह जैसे विभिन्न क्षेत्रों से धर्म प्रेमियों की विशेष उपस्थिति रही, जिससे धार्मिक वातावरण और भी दिव्य एवं प्रेरणादायक बन गया।

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