2024 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अहम है, जिसको देखते हुए दोनों राजनीतिक दल कोई भी कार्ड खेलने से पीछे नहीं हट रहें है।
बीजेपी इस चुनाव को जीतने के लिए तमाम हथकंडे अपना रहीं है, हिंदुत्ववादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए तथा अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बॉलीवुड का सहारा लेने से भी बीजेपी पीछे नहीं है।
द क्विंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में हिंदुत्ववादी फिल्मों की बाढ़ आ गईं है, जिनको बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगो ने फंड किया है और यहीं लोग इन फिल्मों को प्रमोट भी कर रहें है।
इस फहरिस्त में ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’, ‘जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी’, ‘अनुच्छेद 370’, ‘मैं अटल हूं’, ‘बंगाल 1947’, ‘रजाकार’ और ‘एक्सीडेंट ऑर कॉन्सपिरेसी: गोधरा’ प्रमुख है जो अब तक रिलीज़ हो चुकी है या होने वाली है।
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी पर निशाना साधने के लिए बनाई गईं जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी’ का निर्माण महाकाल मूवीज प्राइवेट लिमिटेड ने किया है. इस कंपनी के निदेशकों में से एक विष्णु टांटिया हैं. वह गोपाल गोयल के व्यापारिक सहयोगी हैं, गोपाल हरियाणा में बीजेपी के गठबंधन वाले नेता हैं।
विनायक दामोदर सावरकर को कथित तौर पर स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर पेश करने के लिए बनाई गई ‘स्वतंत्र वीर सावरकर’ फिल्म के निर्माताओं में से एक आनंद पंडित हैं, जो खुद यह कह चुके हैं कि वह 30 सालों से भी ज्यादा वक्त से बीजेपी के सदस्य हैं. आनंद पंडित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक के भी निर्माता थे, प्रधानमंत्री के करीबी भी है।
‘रजाकर: द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद’ फ़िल्म को निज़ाम हैदराबाद से जोड़कर बनाया गया है, इसका निर्माण गुडुर नारायण रेड्डी ने समरवीर क्रिएशन्स के तहत किया है. रेड्डी तेलंगाना में बीजेपी की कार्यकारी समिति का हिस्सा हैं।
इसी प्रकार इन सभी फिल्मों को बनाने का मकसद चुनाव से पहले वोटरों को एकजुट करने का है ताकी हिंदुत्ववादी विचारधारा के पक्ष में माहौल बनाया जा सकें।
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