लोकसभा चुनाव 2024: कांग्रेस ने बॉक्सर विजेंदर को मथुरा से उतारा मैदान में, हेमा मालिनी से होगा मुकाबला

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मथुरा लोकसभा सीट से अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर विजेंदर सिंह को कांग्रेस ने टिकट देकर चुनावी मुकाबला काफी रोमांचक बना दिया है। यहां दो बार की सांसद हेमा मालिनी से बॉक्सर विजेंदर सिंह की सीधी टक्कर होगी।  जाट बाहुल्य सीट पर कांग्रेस ने जाट कार्ड खेल कर इस चुनाव में कांग्रेस ने सभी को चौंका दिया है। भाजपा ने मथुरा से दो बार की सांसद फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को प्रत्याशी बनाया है। हालांकि यहां से रालोद का साथ भी उन्हें मिला हुआ है।

दूसरे चरण में है मतदान

मथुरा लोकसभा सीट पर दूसरे चरण यानी 26 अप्रैल को वोटिंग होगी। चुनाव के नतीजे चार जून को आ जाएंगे।

दो बार दर्ज की जीत

भाजपा प्रत्याशी हेमा मालिनी ने पिछले दो लोकसभा चुनावों यानी 2014 और 2019 में मथुरा लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। साल 2019 हेमा मालिनी को टक्कर देने के लिए 12 अन्य उम्मीदवार मैदान में थे। कांग्रेस ने महेश पाठक, राष्ट्रीय लोक दल ने कुंवर नरेंद्र सिंह, स्वतंत्र जनताराज पार्टी ने ओम प्रकाश को मैदान में उतारा था मगर हेमा मालिनी ने जोरदार जीत हासिल की थी। साल 2014 में भी हेमा मालिनी ने यहां जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने मथुरा लोकसभा सीट पर लगातार तीसरी बार हेमा मालिनी को उतारा है।

बसपा से भी जाट प्रत्याशी को उतारे जाने की संभावना

कांग्रेस ने बॉक्‍सर विजेंदर सिंह को इसलिए हेमा मालिनी के सामने ला खड़ा किया है क्योंकि कृष्‍ण की नगरी मथुरा में जाट मतदाताओं की संख्‍या सर्वाधिक है। बॉक्‍सर विजेंदर सिंह चूंकि जाट बिरादरी से आते हैं इसलिए कांग्रेस को उम्मीद है कि वह हेमा मालिनी से टक्कर ले सकेंगे। हालांकि इस बार जयंत चौधरी की राष्‍ट्रीय लोकदल को एनडीए का हिस्सा बनाकर बीजेपी ने पहले ही जाट मतदाताओं को काफी हद तक अपने पक्ष में खड़ा कर लिया है।

उधर बहुजन समाज पार्टी की ओर से भी इस तरह की सूचनाएं सूत्र  दे रहे हैं कि कमलकांत उपमन्‍यु का टिकट काटा जा सकता है और उनके स्‍थान पर वह एक पूर्व सरकारी अधिकारी को चुनाव मैदान में उतार सकती है।
बताया जाता है गोवर्धन क्षेत्र के मूल निवासी वह पूर्व अधिकारी भी जाट बिरादरी से ही ताल्‍लुक रखते हैं।

वैसे हेमा मालिनी भी अभिनेता धर्मेन्‍द्र की दूसरी पत्नी होने के नाते खुद को जाट बिरादरी से जोड़ती रही हैं। ऐसे में जाट वोटों का बंटना तय है। बस देखना यह होगा कि इनमें से कौन कितने जाट वोटों को अपने पक्ष में ला पाता है क्योंकि जीत और हार का अंतर उसी पर निर्भर होगा।

-एजेंसी

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