आईवीआरआई की 136 वर्षों की साधना पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत, यहां के वैज्ञानिक मूक प्राणियों की आवाज: CM योगी

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बरेली। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के 11वें दीक्षांत समारोह में वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं की सराहना करते हुए कहा कि आईवीआरआई की 136 वर्षों की साधना पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत है। यह संस्थान न केवल पशुधन बल्कि हर जीव-जंतु के लिए जीवन रक्षक सेवा का प्रमुख केंद्र बन चुका है।

मुख्यमंत्री ने भावुक शब्दों में कहा, आप जैसे वैज्ञानिक उस मूक प्राणी की आवाज बनते हैं, जिसे दुनिया सुन नहीं पाती। आपकी खोजें किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाती हैं और समाज को एक नई दिशा देती हैं। उन्होंने इस अवसर को छात्रों के लिए केवल उपाधि प्राप्ति नहीं, बल्कि समाज सेवा की शपथ का क्षण बताया।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वैश्विक महामारी के कठिन समय में जब जांच एक चुनौती बनी हुई थी, तब आईवीआरआई ने उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर दो लाख से अधिक परीक्षण कराकर मानव जीवन रक्षा में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने इसे संस्थान की बहुआयामी उपयोगिता का प्रमाण बताया।

मुख्यमंत्री ने लंपी स्किन रोग की दूसरी लहर के दौरान आईवीआरआई द्वारा विकसित टीके का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने उत्तर प्रदेश को इस संकट से उबारने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि गोरखपुर की गौशाला में जब संक्रमण फैला, तब उन्होंने तत्काल केंद्रीय कृषि मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला से अनुमति लेकर वैक्सीन का सफल प्रयोग कराया, जिससे रोग पर नियंत्रण पाया गया।

मुख्यमंत्री ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आज का दिन आपके जीवन का एक नया अध्याय है। यह केवल उपाधि नहीं, बल्कि सेवा का संकल्प है।

उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता उद्धृत की- ‘आदमी को चाहिए कि वो जूझे परिस्थितियों से… एक स्वप्न टूटे तो दूसरा गढ़े।’ उन्होंने छात्रों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प को साकार करने का आह्वान किया।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का संदेश

दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी छात्रों को संबोधित किया और कहा कि जिन छात्रों को पदक मिला है वे बधाई के पात्र हैं, लेकिन जिन्हें नहीं मिला वे निराश न हों। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे शिक्षा को ग्रामीण जरूरतों से जोड़ें।

राज्यपाल ने कृषि शिक्षा की गुणवत्ता और ग्रामीण सहभागिता पर बल देते हुए प्रधानमंत्री मोदी के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के संकल्प का उल्लेख किया। उन्होंने गुजरात की 2003 की कृषि रथ यात्रा का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वैज्ञानिक और शिक्षक सीधे किसानों से जुड़े, तब परिणाम बहुत ही प्रभावशाली रहे।

राज्यपाल ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को आसपास के गांवों के छात्रों से जोड़ने के प्रयास करने चाहिए, जिससे शिक्षा का असली उद्देश्य पूरा हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि अयोध्या का कृषि विश्वविद्यालय नैक ग्रेडिंग में देश में ए प्लस श्रेणी के साथ पहले स्थान पर है और मेरठ का विश्वविद्यालय भी ए श्रेणी में है, जो प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

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