SCO में भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, घोषणापत्र में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा

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बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा में भारत को एक बड़ी सफलता मिली है। 1 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की तियानजिन घोषणा में पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा शामिल की गई, जिससे यह संदेश गया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत और एससीओ सदस्य देश एकजुट हैं। इस संगठन में पाकिस्तान भी पूर्ण सदस्य है।

भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इससे पहले 26 जून को चीन के किंगदाओ में आयोजित एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। इसका कारण यह था कि इसमें 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले का उल्लेख नहीं था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जबकि पाकिस्तान के संदर्भ में घटनाओं का जिक्र किया गया था।

तियानजिन एससीओ घोषणा में पाकिस्तान का नाम पहलगाम हमले के संदर्भ में नहीं लिया गया। हालांकि, सभी सदस्य देशों ने आतंकवाद को एक सामान्य खतरा मानते हुए इसकी निंदा की। रूस, चीन और ईरान सहित 10 स्थायी सदस्य इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन कुछ राष्ट्रों द्वारा खुले समर्थन के मुद्दे को उजागर किया। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खिलाफ भारत एकजुटता के साथ खड़ा है, और एससीओ इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। दोहरे मानक स्वीकार्य नहीं हैं।’

तियानजिन एससीओ घोषणा में भी यह स्पष्ट किया गया कि सदस्य राज्य सभी रूपों और प्रकटताओं में आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं और आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मानकों को अस्वीकार्य मानते हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद और आतंकवादियों के सीमा पार आंदोलन के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया जाता है।” साथ ही दस्तावेज़ में कहा गया कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की गहरी निंदा की जाती है और मृतकों व घायलों के परिवारों के प्रति संवेदनाएं प्रकट की गई हैं।

इस कूटनीतिक जीत के अलावा पीएम मोदी की चीन के शी जिनपिंग और रूस के व्लादिमीर पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकें अमेरिका के साथ भारत के बढ़ते व्यापारिक तनाव के समय अहम साबित हुईं। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% भारी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी, जो भारत के रूस से तेल खरीदने पर आधारित है। भारत ने इस दावे को चुनौती दी और स्पष्ट किया कि यह मुनाफाखोरी नहीं है। भारत के तेल मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत के रूस से तेल खरीदने ने बाजारों को स्थिर रखा और कीमतों को बढ़ने से रोका।

-एजेंसी

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