भारतीय मौसम विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने कहा है कि भारत पांच पड़ोसी देशों में मौसम को लेकर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने में मदद कर रहा है। भारत जिन पड़ोसी देशों की मदद कर रहा है, उनमें नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और मॉरीशस शामिल हैं। आईएमडी चीफ ने कहा कि इसका मकसद मौसमी आपदाओं से होने वाली जान-माल की हानि को रोकना है। पात्रा ने कहा कि भारत बड़े भाई की भूमिका निभाएगा और अपने पड़ोसी देशों को प्राकृतिक आपदा से बचाने में मदद करेगा।
पहले चरण में पांच देशों की मदद करेगा भारत
संयुक्त राष्ट्र ने सभी के लिए प्रारंभिक चेतावनी नाम से एक अभियान शुरू किया है। यह अभियान साल 2022 में शुरू किया गया था, जिसमें साल 2027 तक सभी देशों को प्राकृतिक आपदाओं से लोगों को बचाने पर फोकस किया गया है। मोहापात्रा ने बताया कि ‘इस अभियान के पहले चरण के तहत चिन्हित किए गए 30 देशों में से पांच की मदद भारत करेगा। पचास फीसदी देशों के पास अभी भी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली नहीं है। जिनमें गरीब, छोटे और द्वीपीय देश शामिल हैं। प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली न होने की वजह से इन देशों में प्राकृतिक आपदाओं में बड़ी संख्या में जान-माल की हानि हो रही है।’
प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में आई तेजी
इन देशों में मौसम को लेकर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए पब्लिक प्राइवेट साझेदारी के आधार पर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं तकनीकी सहयोग भारत द्वारा मुहैया कराया जाएगा। विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, 101 देशों में अभी भी मौसम को लेकर प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली मौजूद नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार 1970 से 2019 के बीच पानी संबंधी आपदाओं में पांच गुना बढ़ोतरी हुई है। 1970 से 2021 के बीच पानी संबंधी आपदाओं से 20 लाख लोगों की मौत हुई है और 4.3 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है।
हर साल 41 हजार से ज्यादा मौतें आपदाओं से हो रहीं
साल 2015 से 2022 के बीच हर साल 41 हजार से ज्यादा लोगों की आपदाओं में मौत हो रही है। साथ ही आपदाओं से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एशिया में ही 2013 से 2022 के बीच बाढ़ और तूफान से 1,46,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। साल 2022 में ही 36 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। आशंका है कि 2030 तक दुनिया में 560 मध्यम से बड़ी आपदाएं हर साल आ सकती हैं।
-एजेंसी