वृद्धावस्था में बढ़ती जीवनशैली बीमारियां बनी बड़ी चुनौती, जीएसआई कार्यशाला में विशेषज्ञों ने जताई गंभीर चिंता

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आगरा। वृद्धावस्था में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, जो आने वाले समय में समाज और स्वास्थ्य तंत्र दोनों के लिए गंभीर चुनौती बन सकती हैं। डायबिटीज, थॉयरायड, हृदय रोग और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बुजुर्गों की स्मरण शक्ति, चलने-फिरने की क्षमता और आत्मनिर्भरता को प्रभावित कर रही हैं। इन्हीं मुद्दों पर मंथन के लिए आगरा में आयोजित जेरिएट्रिक सोसायटी ऑफ इंडिया (जीएसआई) की 38वीं वार्षिक कार्यशाला में देश-विदेश से आए 500 से अधिक विशेषज्ञों ने अपने शोध और अनुभव साझा किए।

शुगर नियंत्रण न हो तो याद्दाश्त पर गहरा असर

आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. सुनील बंसल ने बताया कि लंबे समय तक डायबिटीज रहने पर दिमाग पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि शुगर अनियंत्रित रहने पर 15–20 वर्षों में डिमेंशिया या एल्जायमर का खतरा सामान्य व्यक्ति की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है। दिमाग तक इंसुलिन की पर्याप्त आपूर्ति न होने से स्मृति से जुड़ी कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं, जिससे व्यक्ति छोटी-छोटी बातें भूलने लगता है और दैनिक कार्यों में कठिनाई महसूस करता है।

कम उम्र में डायबिटीज, बुढ़ापे में ज्यादा खतरा

डॉ. बंसल के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को 35–40 वर्ष की आयु में डायबिटीज हो जाए और वह लंबे समय तक इसे नियंत्रित न रखे, तो 60 वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते एल्जायमर का खतरा काफी बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप, बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रोल, मोटापा और सामाजिक अकेलापन इस स्थिति को और गंभीर बना देते हैं। उन्होंने बुजुर्गों को सलाह दी कि वे मानसिक रूप से सक्रिय रहें, नई-नई चीजें सीखें और भोजन में एंटीऑक्सीडेंट युक्त फल-सब्जियों को शामिल करें।

घबराहट और दिल की तेज धड़कन हो तो जांच जरूरी

वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. ए.के. गुप्ता ने बताया कि वृद्धावस्था में थॉयरायड की समस्या अलग रूप में सामने आती है। सामान्य उम्र में दिखने वाले लक्षणों के बजाय 60 वर्ष के बाद घबराहट, दिल की धड़कन तेज होना, कब्ज और अचानक वजन कम होना इसके प्रमुख संकेत हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लक्षणों को नजरअंदाज करने के बजाय समय रहते थॉयरायड की जांच करानी चाहिए।

शुगर से नसों, किडनी और आंखों को खतरा

फिरोजाबाद के डॉ. प्रवीन गुप्ता ने बताया कि अनियंत्रित डायबिटीज के कारण बुजुर्गों में नसों की कमजोरी, किडनी खराब होने और आंखों की रोशनी पर असर पड़ने की शिकायत तेजी से बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि ब्लड शुगर रक्त नलिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिससे न्यूरोपैथी, रेटिनोपैथी और किडनी की बीमारियां जन्म लेती हैं। कई मामलों में त्वचा रोग के लक्षण सामने आने पर ही डायबिटीज का पता चलता है।

फिसलन और गिरने से बचाव पर विशेष ध्यान

डॉ. एस.पी.एस. चौहान ने कहा कि वृद्धावस्था में गिरना एक आम लेकिन खतरनाक समस्या है। इससे बचने के लिए मांसपेशियों को मजबूत करने के साथ-साथ घर में सुरक्षित व्यवस्था जरूरी है। उन्होंने बाथरूम में हैंडिल लगाने, फिसलन वाली टाइल्स से बचने और कपड़े पहनते समय सहारे के लिए स्टूल रखने की सलाह दी। गिरने से सिर में गंभीर चोट लगने की आशंका रहती है, जो कई बार जानलेवा साबित हो सकती है।

कार्यशाला में विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला कि समय पर जांच, संतुलित जीवनशैली, मानसिक सक्रियता और परिवार का सहयोग बुजुर्गों को स्वस्थ, सक्रिय और आत्मनिर्भर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है।

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