राजस्थान के 13 ज़िलों में चंबल और सहायक नदियों का पानी पहुंचाने से जुड़ी ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ (ईआरसीपी) को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच रविवार को दिल्ली में अहम समझौता हुआ है.
यह समझौता परियोजना में संशोधन होने के बाद हुआ है. ईआरसीपी अब ‘पार्वती-काली सिंध-चंबल पूर्वी राजस्थान नहर लिंक परियोजना’ कहलाएगी.
इस परियोजना से राजस्थान के 13 और मध्य प्रदेश के भी 13 ज़िलों को पानी मिलेगा.
राजस्थान को इस परियोजना से क़रीब 2.80 लाख हेक्टेयर (2,800 वर्ग किलोमीटर) क्षेत्र को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा.
इस परियोजना को अब केंद्र की ‘नदी जोड़ो परियोजना’ में शामिल कर लिया गया है. इस परियोजना की लागत का 90 फ़ीसदी पैसा केंद्र सरकार देगी.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में दोनों ही दलों ने इस परियोजना को चुनावी मुद्दा बनाते हुए एक दूसरे पर आरोप लगाए थे.
साल 2017-18 में बीजेपी की तत्कालीन वसुंधरा राजे सरकार ने पानी की कमी से जूझ रहे ज़िलों के लिए ईआरसीपी की योजना बनाई थी. लेकिन, चंबल के पानी के बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद हो रहा था.
पिछली अशोक गहलोत सरकार ने इस परियोजना को केंद्रीय परियोजना घोषित करने के लिए कई बार केंद्र की मोदी सरकार को पत्र लिखे थे.
गहलोत सरकार ने क़रीब 14 हज़ार करोड़ रुपए का बजट भी जारी किया था.
जयपुर में बैठक और दिल्ली में समझौता
इस परियोजना पर बातचीत के लिए मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव रविवार को जयपुर पहुंचे. यहाँ उन्होंने राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा से मुलाक़ात की.
इसके बाद दोनों मुख्यमंत्री एक साथ दिल्ली गए और वहां केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात की. इस मुलाक़ात में ही इस परियोजना पर दोनों राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए.
राजस्थान में बीजेपी के कैबिनेट मंत्री डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने बीबीसी से फोन पर कहा, “इस परियोजना से कृषि उत्पादन में वृद्धि होने से आय में वृद्धि होगी और रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे.”
उन्होंने कहा, “चंबल का पानी बहकर समुद्र में गिर जाता है. मैं दशकों से इस पानी को लिफ्ट कर अपने इलाक़े को पानी देने की माँग करता रहा हूँ. आज वो सपना पूरा हो गया.”
-एजेंसी