मोक्षधाम हूं मैं, हर साल ताजनगरी के पांच हजार से अधिक नर और नारियों को मोक्ष दिलाता हूं

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एल एस बघेल, आगराः विश्वदाय स्मारक ताजमहल के पार्श्व में कलकल करती यमुना मैया की तलहटी में ताजनगरी का प्राचीनतम मोक्षधाम है। जो हर साल यहां के पांच हजार से अधिक नर और नारियों को मोक्ष की प्राप्ति कराता है। यहां से भष्मावशेष के रूप में ये नर-नारी मां यमुना की गोद में हमेशा के लिये समा जाते हैं। वैसे तो मृतकों की संख्या हर रोज और हर साल घटती-बढ़ती रहती है। लेकिन कोरोना काल में इनकी संख्या काफी बढ़ गयी थी।

ताजमहल से भी प्राचीन है ताजगंज स्थित श्मसान घाट

ताजगंज श्मसान घाट ताजमहल से भी पुराना है। ताजमहल को मुगल बादशाह शाहजहां से 1632 में बनवाया था। जबकि आगरा शहर के बारे में बताया जाता है कि महाभारत काल में इसे अग्रवन के रूप में जाना जाता था, बाद में सन 1504 में सिकंदर लोधी ने इस शहर को बसाया हुआ बताया जाता है। खैर वह जो भी हो ताजगंज का श्मसान घाट जब आगरा बसा था, तभी का यमुना के किनारे बना हुआ है। यहां के घाट गवाही देते हैं कि यह सदियों पुराना है। जैसे-जैसे समय बीतता गया, इसका जीर्णोद्धार होता गया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से अब तो चिमनियां भी लग गयी हैं, जिससे कि धुएं का असर विश्वदाय स्मारक ताजमहल पर न पड़े।

प्रातः 6 बजे से रात 11.30 बजे तक होते अंतिम संस्कार

इस श्मसान घाट पर प्रातः 6 बजे से लेकर रात को 11.30 बजे तक अंतिम संस्कार होते हैं। ताजगंज श्मसान घाट के मैनेजर पहलवान सिंह का कहना है कि प्रतिदिन मृतकों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। जैसे 11 अगस्त 2024 को 17 अंतिम संस्कार हुए, 10 अगस्त को 6, 9 अगस्त को 7 और आठ अगस्त को 22 अंतिम संस्कार ताजगंज स्थित श्मसान घाट पर हुए।

कोरोना काल में बढ़ गयी थी अंत्येष्टि की संख्या

यहां के मैनेजर पहलवान सिंह बताते हैं कि जब कोरोना चरम पर था। उन दिनों यहां अंत्येष्टि की संख्या बढ़ गयी थी। उन दिनों लगभग दस-बारह दिन तक 100 से 150 लोगों की अंत्येष्टि इस श्मसान घाट पर हुई थी।

तानगरी में और भी घाट

ताजगंज स्थित श्मसान घाट के अलावा ताजनगरी में और भी कई घाट हैं। जिनमें विद्युत शवदाह ग्रह के अलावा नुनिहाई, बल्केश्वर घाट, पोईया घाट, मल्ल का चबूतरा, कैलाश मंदिर के निकट आदि हैं। इनके अलावा अन्य छोटे घाट भी हैं, जहां अंत्येष्टि होती हैं।

खाने-पीने की दुकानें भी खुल गयीं श्मसानघाट पर

ताजगंज स्थित श्मसान घाट पर अब खाने-पीने की दुकानें भी खुल गयी हैं। बेड़ई, कचौड़ी के अलावा कोल्डड्रिंक, चाय के साथ ही बीड़ी सिगरेट भी बिकने लगे हैं। पहले लोग संकोच करते थे लेकिन अब तो यहां भी खाने-पीने की वस्तुएं बेहिचक ले लेते हैं।

श्मसान सुधार समिति

ताजगंज श्मसान सुधार समिति के अध्यक्ष दिनेशचंद मंगला और कोषाध्यक्ष जवाहरलाल झांझी हैं। जोकि मैंटेनेंस आदि का काम देखते हैं। नगर निगम से बनने वाले मृत्यु प्रमाण पत्र की रसीद भी इसी समिति द्वारा श्मसान घाट पर जारी की जाती है।

क्षेत्र बजाजा कमेटी

क्षेत्र बजाजा कमेटी कांठी कफन के अलावा गरुण वाहन के साथ ही लकड़ी आदि का प्रबंध श्मसान घाट पर करती है। ये लकड़ी एटा, औरैया, टूंडला आदि स्थानों से आती है।

-up18News

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