महाकुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं का टोल टैक्स माफ करे सरकार: अखिलेश यादव

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आगरा:- रविवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव आगरा पहुंचे। उन्होंने कहा- अयोध्या की हार मिल्कीपुर की जीत से बराबर नहीं हो सकती। अयोध्या की हार भाजपा के लिए हमेशा हार ही रहेगी। मिल्कीपुर की जीत अयोध्या हार का बदला कभी नहीं हो सकता। ये चुनाव भी हम जीत जाते, लेकिन बड़े पैमाने पर बेईमानी हुई।

सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष रविवार को एक शादी समारोह में शामिल होने आगरा पहुंचे थे। उन्होंने कहा- मिल्कीपुर भी जीत जाते, मगर यहां वोटों की लूट हुई। बीएलओ ने सपाइयों के नाम काटे, अफसरों ने वोट नहीं डालने दिए और दूसरे जिलों के लोग भी आकर वोट डाल गए। ऐसे लोगों को लोकतंत्र में विशेष सम्मान-पुरस्कार देना चाहिए। ये जो काम किया है, 403 में आपकी 420 नहीं चलने वाली।

हार हमें सिखाती है, आगे बढ़ने का रास्ता बनाती है

अखिलेश यादव दोपहर करीब 12:30 बजे एत्मादपुर में सपा नेता महाराज सिंह धनगर के बेटे की शादी में शामिल हुए। यहां करीब 45 मिनट तक रहे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा- दिल्ली का परिणाम में आप नहीं जीती, जो भी परिणाम आया वो जनता का फैसला है। ये हमें स्वीकार है। हार हमें कुछ सिखाती है। आगे बढ़ने का रास्ता बनाती है। इंडिया गठबंधन और मजबूत होगा। मगर उत्तर प्रदेश में हम सभी ने वोटों की लूट देखी है। सरकार ने एक विधानसभा में पूरी ताकत लगा दी। इन सभी लोगों को लोकतंत्र में सम्मान मिलना चाहिए। जो लोग यह संदेश दे रहे हैं कि मिल्कीपुर जीतकर अयोध्या की हार का बदला ले लिया। ये जीत बदला नहीं हो सकती। अयोध्या से कोई बदला नहीं ले सकता।

कुंभ जाने वाले श्रद्धालुओं का टोल माफ करे सरकार

अखिलेश ने महाकुंभ को लेकर कहा- ये सरकार अपने मनोरंजन के लिए फिल्मों को टैक्स फ्री कर देती है तो कुंभ में इतनी दूर से कई राज्यों से आ रहे श्रद्धालुओं के लिए टोल माफ करना चाहिए। जब सरकार कुंभ पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च कर रही है तो टोल भी माफ होना चाहिए।

मौतों के आकड़ो पर सरकार को घेरा

अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार हर स्नान के बाद करोड़ों की गिनती गिन रही है। मगर ये नहीं बता पा रही कि कुंभ में कितनों की जान गई, कितने लापता हैं। आज भी लोग अपनों को तलाश रहे हैं। किसी का पिता लापता है तो किसी का बेटा। आज भी कई मृतकों के परिजनों को डेथ सर्टिफिकेट नहीं दे रहे। ये इसलिए कर रहे हैं कि कहीं मृतकों के परिजनों को मुआवजा न देना पड़ जाए।

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